पार्टटाइम या कॉन्ट्रेक्ट
आयुर्वेद कॉलेजों में नए नियम के मुताबिक एमबीबीएस सर्जन, गायनेकोलाजिस्ट, पैथॉलॉजिस्ट, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट, मेडिकल स्पेशलिस्ट, ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट, पीडियाट्रीशियन, रेडियोलॉजिस्ट, रेडियोग्राफर के साथ डेंटिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट का काम करना जरूरी है। इनकी नियुक्तियां पार्टटाइम संविदा आधार पर होगी। जानकारों के अनुसार एमबीबीएस डॉक्टर्स की नियुक्ति का प्रस्ताव पुराना है। सख्ती नहीं होने से कॉलेज नियम की पालना नहीं कर रहे हैं।
छात्रों को होगा फायदा
एमसीआइ ने हाल ही में मेडिकल कॉलेजों के छात्र-छात्राओं को एमबीबीएस प्रोग्राम के अलावा आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी पैथी की पढ़ाई कर विकल्प देने का निर्णय किया है। इससे आयुर्वेद एवं आयुष पैथी के विस्तार और उसके फायदे मरीजों को मिलने की बात कही जा रही है। एलोपैथी डॉक्टर्स की नियुक्ति से आयुर्वेद छात्र एवं जूनियर डॉक्टर्स को आयुर्वेद के साथ एलोपैथी के बारे में जानकारी मिलेगी। आकस्मिक स्थिति में मरीज के उपचार में एलोपैथिक डॉक्टर्स की मदद मिलेगी। आयुर्वेद पीजी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राकेश पांडेय के अनुसार आयुर्वेद कॉलेजों में एलोपैथी चिकित्सकों की नियुक्ति मान्यता के लिए जरूरी की गई है। इससे आयुर्वेद छात्र-छात्राओं को फायदा होगा। जरूरत पडऩे पर आकस्मिक स्थिति में आयुर्वेद छात्रों और जूनियर डॉक्टर्स की एलोपैथी डॉक्टर उपचार में सहायता मिलेगा।