जबलपुर

MCI की इस व्यवस्था से Medical की पढ़ाई हुई मुश्किल

– MCI ने मेडिकल कॉलेज में प्रैक्टिकल के मानक दिए बदल-अब संपूर्ण शरीर की जानकारी को इस मानक का करना होगा पालन

जबलपुरDec 22, 2020 / 03:42 pm

Ajay Chaturvedi

MCI

जबलपुर. भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की नई गाइडलाइन के चलते अब Medical की पढ़ाई थोड़ी मुश्किल हो गई है। हालांकि यह निर्देश छात्रहित में है, लेकिन व्यावहारिक दृष्टि से इसका पालन थोड़ा मुश्किल होगा। दरअसल एमसीआई के नए दिशा निर्देश के तहत अब मेडिकल कॉलेजों को, अध्ययनरत छात्रों को शरीर की संरचना समझऩे के लिए पहले से ज्यादा शव की जरूरत होगी। नई गाइडलाइन को फॉलो करने के लिए इतनी बड़ी तादाद में शव का इंतजाम सबसे बड़ा संकट है क्योंकि लाख जतन के बाद भी अभी अपने देश में देह दान उस रूप में प्रचलित नहीं हो सका है।
बता दें कि भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) के नए दिशा निर्देश के तहत अब 10 चिकित्सा छात्रों पर एक Dead body अनिवार्य कर दिया है। पहले एक Dead body से 15 छात्रों को प्रेक्टिकल कराया जाता था। इस नई गाइड लाइन के बाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रशासन देहदान करने वाले दानदाताओं की तलाश में जुट गया है, ताकी भावी चिकित्सकों के अध्ययन में कोई बाधा न आने पाए।
दरअसल, मेडिकल में अध्ययनरत चिकित्सा छात्रों को कुशल चिकित्सक बनाने के लिए मानव शरीर रचना का पूरा ज्ञान दिया जाना आवश्यक होता है। यह ज्ञान मृत देह पर प्रयोग से ही संभव है। लेकिन हाल ये है कि अभी पुराने मानक का ही पालन करा पाना मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के लिए मुश्किल हो रहा था। कॉलेज प्रबंधन लगातार इस बात का प्रचार प्रसार करते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग मरणोपरांत देह दान का संकल्प लें। ठीक उसी तरह से जैसे नेत्र दान का संकल्प लिया जा रहा है। लेकिन देहदान के मामले में अभी जागृति दर बहुत कम है। हालांकि हाल ही में कलेक्टर कर्मवीर शर्मा की देहदान व अंगदान की अपील पर पति-पत्नी समेत 12 लोगों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर देहदान का फार्म भरा है।
वर्तमान में हाल ये है कि मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को मार्च के अंतिम सप्ताह के बाद से कोई Dead body दान में नहीं मिली है। एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. एलएन अग्रवाल ने बताया कि मार्च के दूसरे पखवाड़े में कोरोना संक्रमण की शुरुआत होने के कारण Dead body लेने पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि इस दौरान Dead body पर मेडिकल छात्रों के प्रयोग के लिए वैकल्पिक इंतजाम किए गए थे। आमतौर पर मेडिकल में Dead body की कमी बनी रहती है।
एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ. अग्रवाल की मानें तो मेडिकल में 250 छात्रों के बैच के लिए कम से कम 25 Dead body की आवश्यकता होगी। फिलहाल मेडिकल छात्रों के अध्ययन के लिए Dead body की कमी बरकरार है। कलेक्टर की पहल पर लोग देहदान करने के लिए आगे आ रहे हैं। एक बैच के मेडिकल छात्रों के लिए 25 देह की आवश्यकता होगी।
कोरोना संक्रमण काल में भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल कॉलेज, अस्पताल में देहदान करने की शर्त में आंशिक बदलाव किया है। अब उन्हीं लोगों की Dead body मेडिकल छात्रों के अध्ययन के लिए दान में ली जाएगी, जिनकी मौत से 15 दिन पूर्व तक कोरोना संक्रमण के कोई लक्षण न आए हों। मृत्यु से पांच दिन पूर्व तक कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव रही हो। मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण स्पष्ट हो। एमसीआइ ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक मृत देह को कोरोना संदिग्ध माना जाए।
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