रैंगिंग के कारण नहीं गया कालेज
विदिशा में रहने वाले धर्मेन्द्र पुलिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी । धर्मेद्र का कहना था कि रैगिंग के कारण वह करीब 9 माह क्लास अटैण्ड नहीं कर पाया। बाद में वह बीमार पड़ गया जिसपर प्रबंधन द्वारा उसे क्लास में बैठने की अनुमति देने से इनकार करके उसका एडमीशन निरस्त कर दिया। इस आदेश को एकतरफा बताते हुए यह याचिका दायर की गई थी। छात्र के मुताबिक सितंबर 2012 में उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के साढ़े चार साल के कोर्स में एडमीशन मिला था। कोर्स के बाद याचिकाकर्ता को एक साल की इंटर्नशिप भी करना थी। 28 जुलाई 2016 को उसका एडमिशन निरस्त कर दिया गया। इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से युगलपीठ को बताया गया कि एमसीआई के नियमों के मुताबिक साढ़े 5 साल के कोर्स में 75 फीसदी अटैण्डेंस होना अनिवार्य है। छात्र की अटैंडेंस काफी कम है इसलिए उसका प्रवेश निरस्त किया गया है।
दो साल रहा गायब
एमबीबीएस का कोर्स कुल साढ़े पांच साल में पूरा करने का नियम है। रिकार्ड के अनुसार धर्मेंद्र ने 2012-13 के सत्र में सिर्फ 19 दिन कॉलेज अटैण्ड किया और इसके बाद के दो साल में उसने एक दिन भी कॉलेज अटैण्ड नहीं किया। 2013-14 और 2014-15 के सत्र में पूरी तरह गैरहाजिर रहने के बाद 2015-16 के सत्र में भी मात्र 44 दिनों की उसकी अटैण्डेंस थी। इसीलिए उसका एडमीशन निरस्त किया गया । सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार करते हुए उसकी खारिज कर दी।