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medical college: सालों से क्लास नहीं गया यह स्टूडेंट फिर भी बनना चाहता है डाक्टर, जानिए क्या है माजरा

locationजबलपुरPublished: Nov 15, 2017 10:29:40 am

Submitted by:

deepak deewan

विदिशा में रहने वाले धर्मेन्द्र पुलिया ने दो साल तक एक भी दिन कालेज नहीं किया अटेंड

medical student did not attend college any single day

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जबलपुर . मेडिकल कोर्स के नाम पर कई तरह की गड़बडिय़ां चल रहीं हैं पर अब इन पर सख्ती की जा रही है। ऐसे ही एक मामले में हाईकोर्ट ने भी कड़ा फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि जिस छात्र ने अपना मेडिकल कोर्स साढ़े 5 साल के तय समय में पूरा नहीं किया, उसका एडमीशन निरस्त करना ही उचित है। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस नंदिता दुबे की युगलपीठ ने यह फैसला सुनाया। इसी के साथ जबलपुर मेडिकल कॉलेज द्वारा एडमीशन निरस्त करने का आदेश सही ठहराते हुए पीडि़त छात्र की याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे छात्र को एमबीबीएस कोर्स करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

रैंगिंग के कारण नहीं गया कालेज
विदिशा में रहने वाले धर्मेन्द्र पुलिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी । धर्मेद्र का कहना था कि रैगिंग के कारण वह करीब 9 माह क्लास अटैण्ड नहीं कर पाया। बाद में वह बीमार पड़ गया जिसपर प्रबंधन द्वारा उसे क्लास में बैठने की अनुमति देने से इनकार करके उसका एडमीशन निरस्त कर दिया। इस आदेश को एकतरफा बताते हुए यह याचिका दायर की गई थी। छात्र के मुताबिक सितंबर 2012 में उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के साढ़े चार साल के कोर्स में एडमीशन मिला था। कोर्स के बाद याचिकाकर्ता को एक साल की इंटर्नशिप भी करना थी। 28 जुलाई 2016 को उसका एडमिशन निरस्त कर दिया गया। इस मामले पर हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से युगलपीठ को बताया गया कि एमसीआई के नियमों के मुताबिक साढ़े 5 साल के कोर्स में 75 फीसदी अटैण्डेंस होना अनिवार्य है। छात्र की अटैंडेंस काफी कम है इसलिए उसका प्रवेश निरस्त किया गया है।

दो साल रहा गायब
एमबीबीएस का कोर्स कुल साढ़े पांच साल में पूरा करने का नियम है। रिकार्ड के अनुसार धर्मेंद्र ने 2012-13 के सत्र में सिर्फ 19 दिन कॉलेज अटैण्ड किया और इसके बाद के दो साल में उसने एक दिन भी कॉलेज अटैण्ड नहीं किया। 2013-14 और 2014-15 के सत्र में पूरी तरह गैरहाजिर रहने के बाद 2015-16 के सत्र में भी मात्र 44 दिनों की उसकी अटैण्डेंस थी। इसीलिए उसका एडमीशन निरस्त किया गया । सुनवाई के बाद युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को राहत देने से इनकार करते हुए उसकी खारिज कर दी।
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