देश की हर आपदा से निपटने में सेना सक्षम: पूर्व जनरल ने सेना की कार्य संस्कृति के बारे में बताया कि कैसे एक ही समय में सेना देश के साढ़े सात लाख किमी बॉर्डर की सुरक्षा दायित्वों के साथ जरूरत पर देश के अंदर आने वाली केरल जैसी प्राकृतिक आपदा हो या फिर कश्मीर जैसे बिगड़े हालातों को भी सम्भालने के लिए तत्परता से आगे आती है। सेना में अनुशासन और सर्वधर्म समभाव की भावना से काम होता है। नागरिक प्रशासन भी इस भावना से काम करने की कार्य संस्कृति विकसित कर सकती है।
कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की सीख:
कंधे से कंधा मिलाकर काम करने की सीख:
सेना के जवान कड़ी ट्रेनिंग से ईमानदारी, वफादारी, कत्र्तव्यनिष्ठा, सम्मान, नि:स्वार्थ भावना और हिम्मत के साथ हर परिस्थितियों और चुनौतियों से पार पाने का गुर सीखते हैं। नागरिक प्रशासन वहां काम करने वाले लोग भी इसी तरह न केवल खुद का बल्कि टीम भावना के साथ कार्य कर संस्था को सफलता दिलवा सकते हैं। एक-दूसरे का कंधे से कंधा मिलाकर चलने और लक्ष्य को प्राप्त करने की संस्कृति विकसित करनी होगी। अनुभवी और गैर अनुभवी में अंतर नहीं किया जाना चाहिए। बल्कि वह एक-दूसरे का सम्मान करें। सेना में लीडरशिप करने वाले सबसे आगे रहते हैं।
देशहित में सेना सबसे आगे:
देश को आजाद हुए छह दशक से ज्यादा हो चुके हैं। सेना अपने दायरे में रहकर कई महत्वपूर्ण कार्य कर चुकी है। सेना ने ऐसा कोई काम नहीं किया, जो देश के विरुद्ध हो। हमेशा जिम्मेदारी और विश्वसनीयता को बरकरार रखा है। सेना खेल और अन्य गतिविधियों के माध्यम से भी देश का मान बढ़ाती है। गणमान्य नागरिकों और युवाओं के सवालों का जवाब देते हुए प्रेरणा दी कि वे साइबर वार के इस दौर में देश और सेना के लिए बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
देश को आजाद हुए छह दशक से ज्यादा हो चुके हैं। सेना अपने दायरे में रहकर कई महत्वपूर्ण कार्य कर चुकी है। सेना ने ऐसा कोई काम नहीं किया, जो देश के विरुद्ध हो। हमेशा जिम्मेदारी और विश्वसनीयता को बरकरार रखा है। सेना खेल और अन्य गतिविधियों के माध्यम से भी देश का मान बढ़ाती है। गणमान्य नागरिकों और युवाओं के सवालों का जवाब देते हुए प्रेरणा दी कि वे साइबर वार के इस दौर में देश और सेना के लिए बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।