जबलपुर . बारूदी सुरंगों से निपटने में कारगर माइन प्रोटेक्टिव वीकल (एमपीवी) का उत्पादन समय पर करने के लिए वीकल फैक्ट्री प्रबंधन ने हर माह का लक्ष्य तय कर दिया है। इसकी शुरूआत वित्तीय वर्ष के पहले महीने से हो गई है। सेना को नियम समय पर वाहन मिलेंगे। कर्मचारियों पर वर्ष के अंत में वर्कलोड को पूरा करने का दबाव भी नहीं रहेगा।अप्रेल में 15 वाहनों का लक्ष्य तय किया गया था, जिसे पूरा कर लिया गया है।
मुख्य उत्पाद एमपीवी फैक्ट्री के मुख्य उत्पादों में शामिल है। इस वित्तीय वर्ष में 160 से अधिक एमपीवी का उत्पादन करना है। इसके लिए अभी से तैयारियां की गई हैं। आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के विघटन के बाद बनी रक्षा कंपनियों ने अपनी कार्य प्रणालियाें में बदलाव किया है। यह तय किया गया है कि समय पर उत्पादन हो ताकि नियमित के साथ-साथ नए उत्पादों को शामिल किया जा सके। आर्मर्ड वीकल निगम लिमिटेड (एवीएनएल) ने भी लक्ष्य तय किए हैं।
सेना के लिए उपयोगी आतंकवादी और नक्सलियों की ओर से सड़कों पर बिछाई जाने वाली बारूदी सुरंगों से निपटने में यह वाहन कारगर होते हैं। इसलिए सेना को हमेशा इनकी जरूरत पड़ती है।संवेदनशील जगहों पर गश्ती में इसका इस्तेमाल होता है। साथ ही जब आतंकवाद प्रभावित इलाकों में सैनिक एक जगह से दूसरी जगहों पर जाते हैं, तब भी इन्हें उपयोग में लाया जाता है। यह ऐसे वाहन हैं जो कि कई किलो बारूद के विस्फोट को सहन कर सकते हैं। बुलेटप्रूफ होने के कारण गोलीबारी से भी सुरक्षा रहती है।
बड़ा स्टाफ जुड़ा है प्रोजेक्ट से यह ऐसा उत्पाद है जिसमें फैक्ट्री का बड़ा अमला जुड़ा है। एमपीवी के लिए वीएफजे नोडल फैक्ट्री के रूप में काम कर रही है। इसलिए यह प्रोजेक्ट उसके लिए हमेशा प्रतिष्ठा से जुड़ा रहता है। यही कारण है कि कई वर्जन इसके तैयार हो चुके हैं। मौजूदा समय में सिक्स वाइ सिक्स मॉडल को तवज्जो दी जा रही है। इसका नियमित उत्पादन भी जल्द शुरू होगा।