ऐसा पहला मामला
खण्डवा के एक किसान ने हाईकोर्ट में मामला दायर करके दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई अपनी नाबालिग बेटी का गर्भपात कराने की गुहार लगाई है। जानकारों के मुताबिक हाईकोर्ट में इस प्रकार यह संभवत: पहला मामला है, जिसमें किसी दुष्कर्म पीडि़त पुत्री का गर्भपात कराने की गुहार खुद उसके पिता ने लगाई है। मामले पर सुनवाई पूरी होने पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
रात में दुष्कर्म
आवेदक का आरोप है कि उसकी नाबालिग पुत्री को कोई अज्ञात व्यक्ति 13 व 14 अक्टूबर 2017 की दरमियानी रात को बहला फुसलाकर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। इसी बीच आवेदक को पता चला कि दुष्कर्म की शिकार उसकी बच्ची गर्भवती है। मामले पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पराग चतुवेर्दी और राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव ने दलीलें रखीं।
शादी नहीं हो पाएगी
आवेदक का कहना है कि उसकी नाबालिग बेटी बच्चे को जन्म देने की स्थिति में नहीं है। याचिकाकर्ता की प्रेग्नेंसी का व्यय वहन करने की आर्थिक हैसियत नहीं है। गर्भवती बेटी यदि बच्चे को जन्म देगी तो उसका सामाजिक भविष्य बर्बाद हो जाएगा। उसकी शादी नहीं हो पाएगी। इस संबंध में चिकित्सकों से परामर्श करने पर भी उन्होंने कोई उपाय नहीं सुझाया, इसके चलते गर्भपात कराने के लिए अनुमति मांगी गई है।
डिलेवरी तत्काल सूचना दें
याचिकाकर्ता ने दुष्कर्म का शिकार हुई बेटी की मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देकर कहा है कि उसके पेट में 18 सप्ताह का गर्भ है। पुलिस का कहना है कि जब कभी भी उसकी बच्ची की डिलेवरी हो, तो तत्काल उसकी सूचना दी जाए।
दी जा सकती है इजाजत
विधि विशेषज्ञों के अनुसार 7 (द) मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ 1978 की धारा 3(2) (बी) में दिए गए प्रावधान के मुताबिक जिस मामले में प्रेग्नेंसी 12 सप्ताह से अधिक और 20 सप्ताह से कम हो, उस मामले में किसी रजिस्टर्ड प्रेक्टिशनर से गर्भपात की इजाजत दी जा सकती है। यह मामला अलग इसलिए है, क्योंकि इसमें पीड़ित लड़की नाबालिग है।
डॉक्टरों का अलग-अलग मत
याचिकाकर्ता की पुत्री की जांच दो डॉक्टरों से कराई गई। लेकिन दोनों चिकित्सकों ने गर्भपात को लेकर अलग-अलग मत दिया है। एक चिकित्सक का कहना है कि पीड़ित नाबालिग लड़की का गर्भपात किया जा सकता है, जबकि दूसरे की राय में ऐसा नहीं हो सकता। पीडि़त नाबालिग लड़की का गर्भपात हो सकेगा या नहीं, इसका फैसला कोर्ट को करना है।