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वन रैंक वन पेंशन के नाम पर सरकार कर रही गुमराह

locationजबलपुरPublished: Apr 21, 2019 10:23:50 pm

Submitted by:

Mayank Kumar Sahu

सरकार से नाराज भूतपूर्व सैनिक, अपने अधिकारों के लिए हम नहीं रहेंगे अब चुप, भूतपूर्व सैनिकों ने शुरू किया इंडियन एक्स सर्विसमेंट मूवमेंट, पत्रवार्ता में लगाए रिटायर्ड मेजर ने लगाए आरोप

Misled the government in the name of one rank one pension

Misled the government in the name of one rank one pension

जबलपुर।

झूठे वादों और ख्वाबों को लेकर भूतपूर्व सैनिकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वन रैंक वन पेंशन के झूठे वादे को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। बैठक कर जहां अपने हितों की लड़ाई के लिए परिवारों को एकजुट रहने का आव्हान किया तो वहीं दूसरी और प्रेस कांफ्रेस कर सरकार के झूठे वादे को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया। इसकी अगुवाई रिटायर्ड मेजर जनरल सतबीर सिंह एवं अन्य के द्वारा की गई। सिंह ने कहा कि इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट नाम से यह आंदोलन सभी जगह शुरू किया गया है। सरकार ने असली ओआरपी लागू नहीं की है। केवल एक टाइम पेंसन बढ़ौती की है। चुनाव में सेना का उपयोग, सैन्य वर्दी पहनकर चुनाव में प्रचार को लेकर आपत्ति दर्ज की गई।
चार सालों से लड़ रहे लड़ाई
सुदेश गोयत ने कहा कि हम वन रैंक वन पेंशन के लिए पिछले चार सालों से दिल्ली के जंतर मंतर मे आंदोलन कर रहें लेकिन सरकार ने अब तक अपने वादे को नहीं निभाया है। लेफ्टिनेंट कामेश्वर पांडे, एसए दुग्गल ने कहा कि सैनिक किसी भी पार्टी का नहीं होता वह केवल देश का सैनिक होता है। फौजियों की दूसरी सर्विस के मुकाबले में डाउनग्रेड और डिग्रेड करने की पॉलिसी बंद करने, फौजियों का 15 अगस्त 1947 का स्टेटस बहाल करने के साथ ही केंटोनमेंटों को सिविलियन ट्रेफिक के लिए खोलने खड़े हुए खतरे को देखकर आदेश रद्द करने की मांग की।
सवाल पर बवाल
मीडिया के एक सवाल पर प्रेस कांफ्रेस में पदाधिकारियों के बीच हडक़ंप मच गया। जब मीडिया ने पूछा कि एक पार्टी के इशारे पर यह कांफ्रेस कर बात रखी जा रही है तो पदाधिकारियों ने पहले तो नकार दिया फिर कहा कि अपनी बात को रखने के लिए किसी को साथ लेकर चलना तो होगा। हालांकि इन्ही में से एक पदाधिकारी द्वारा प्रत्याशी का नाम लेने फिर बात से पलटने पर आपस में खींचतान एवं सामांजस्य का अभाव दिखा। मेजर सतबीर, कैप्टन वीके गांधी ने सफाई दी कि हम भूतपूर्व सैनिक किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं वे अपनी बात रख रहे हैं।

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