जांच के बाद सामने आया नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का गणित
एसआइटी की पूछताछ में बार-बार यह तथ्य आ रहे थे कि इंदौर से 500 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप जबलपुर के सिटी अस्पताल पहुंची। इसमें से 35 इंजेक्शन पहले ही सपन ने रख लिए थे। राकेश के पकड़े जाने के बाद यह खुलासा हुआ कि उसने भी 65 इंजेक्शन निकाले थे। जिसके बाद सिटी अस्पताल में 400 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन पहुंचे, जिसमें से 200 से अधिक नकली रेमडेसिविर इजेक्शन मरीजों को लगा दिए गए और लगभग 200 इंजेक्शनों को मोखा उसकी पत्नी जसमीत और सोनिया ने नष्ट किया। नष्ट किए गए इंजेक्शनों में से 190 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की शिशियां पुलिस आरोपियों की निशानदेही पर जब्त कर चुकी है।
नौकरी की धमकी देकर कराया मॉडीफाई
एसआइटी को पूछताछ में अकाउंटेंट अरूप ने बताया कि वह कंप्यूटर में मौजूद जानकारियों को डीलीज या मॉडीफाई नहीं करना चाहता था। मोखा और अस्पताल की मैनेजर सोनिया को उसने इसके लिए मना भी कर दिया था। लेकिन दोनों ने उसे धमकाया कि यदि वह उनके कहे अनुसार कंप्यूटर में मौजूद जानकारियों को मॉडीफाई नहीं करता है, तो वह उसे नौकरी से निकाल देंगें। इसी डर के कारण अरूप ने दस्तावेजों को मॉडीफाई करने तैयार हुआ। इसके बाद मोखा ने उसे अपनी आइडी व पासवर्ड दिए, जिसके बाद अरूप ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन से जुड़ी सारी जानकारियां कंप्यूटर में मॉडीफाई की थी। जानकारी के अनुसार एसआइटी ने अरूप के बयान भी धारा 164 के तहत न्यायालय में दर्ज करा दिए हैं।
मामले में यह धाराएं बढ़ाई
एसआइटी ने सरबजीत सिंह समेत अन्य के खिलाफ दर्ज मामले में कूट रचित दस्तावेज बनाने और आईटी एक्ट की धाराएं बढ़ाई हैं।
कार में रखकर इंदौर में घूमा था राकेश
एसआईटी की जांच में खुलासा हआ कि राकेश अपनी कार से इंदौर गया था। दोनों बार जब रीवा निवासी सुनील मिश्रा ने उसे नकली रेमडेसिविर इंजेक्श की खेप पहुंचाई, तो राकेश उन्हें अपनी कार में रखकर इंदौर में कई स्थानों पर घूमा था। यह इसलिए किया, ताकि पुलिस के हाथ कोई सुराग नहंी लग सके। राकेश की निशानदेही पर पुलिस ने उसकी कार और दो मोबाइल फोन जब्त किए है।