डायमंड कंपनी के नाम का बिल
एसआइटी के अनुसार 23 और 28 अप्रेल को जब नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप इंदौर से सिटी अस्पताल पहुंची, तो उसके साथ डायमंड कंपनी का बिल भी था। दोनों बार का कुल बिल लगभग 15 लाख रुपए था। हालांकि, बिल की राशि भगवती फार्मा के संचालक सपन जैन ने पहले ही रीवा निवासी सुनील मिश्रा को दे दी थी। केवल इस बिल के जरिए सरबजीत सिंह मोखा को सपन को पेमेंट करनी थी। सपन को उसके 15 लाख रुपए मिल पाते, इसके पूर्व यह मामला खुल गया।
एसआइटी के मुताबिक सुनील मिश्रा ने जहां भी नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिलेवरी दी, सभी को डायमंड एजेंसी का ही बिल दिया गया था। एसआइटी के मुताबिक सुनील डीमार्ट में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की ओपन ट्रेडिंग कर लोगों से सम्पर्क कर रहा था।
इंदौर पुलिस की रिमांड खत्म होते ही लाए जाएंगे शहर
मामले में इंदौर पुलिस भी जांच कर रही है। इंदौर में भी कई आरोपियों को पकड़ा जा चुका है। यही कारण है कि भगवती फार्मा का संचालक सपन जैन, इंजेक्शन की डिलेंवरी देने वाला रीवा निवासी सुनील मिश्रा और इंदौर निवासी पुनीत शाह व गुजरात निवासी कौलश बोरा इंदौर पुलिस की रिमांड पर है। इंदौर पुलिस सात से आठ तारीख के बीच आरोपियों को न्यायालय में पेश करेगी। इसके बाद जबलपुर की एसआइटी उक्त चारों आरोपियों को पुलिस रिमांड पर जबलपुर लाकर पूछताछ करेगी।
एसआइटी की जांच पर सवाल
सरबजीत सिंह मोखा को एसआइटी ने जब पुलिस रिमांड पर लिया, तो उसके तत्काल बाद उसके मोबाइल फोन की तलाश की जानी चाहिए थी, लेकिन एसआइटी ने ऐसा नहीं किया। उसकी दोबारा रिमांड ली गई और उसके बावजूद मोखा से उसका मोबाइल फोन टीम जब्त नहंी कर पाई। मोखा का मोबाइल फोन न मिल पाना एसआईटी की कार्रवाई पर सवाल खड़ा कर रहा है।
तत्काल क्यों जब्त नहीं हुआ मोबाइल फोन?
एसआइटी ने सरबजीत सिंह मोखा को उसके अस्पताल से गिरफ्तार किया था। उस वक्त उसके पास मोबाइल फोन था। यह बात स्वयं एसआइटी के अधिकारियों के सामने मोखा ने कबूली। सवाल यह है कि यदि अस्पताल में उसका मोबाइल था, तो उस वक्त उसे गिरफ्तार करने पहुंची टीम ने उसका फोन क्यों जब्त नहीं किया?