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Weather report: गंगा के बाद इस नदी ने दिखाया रौद्र रूप, घाट 35 फीट तक डूबे, बाढ़ के हालात

locationजबलपुरPublished: Oct 01, 2019 09:47:30 am

Submitted by:

Lalit kostha

monsoon report: गंगा के बाद इस नदी ने दिखाया रौद्र रूप, घाट 35 फीट तक डूबे, बाढ़ के हालात

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monsoon

जबलपुर. शहर में देर से मानसून ने भले ही दस्तक दी लेकिन इस साल की तेज बूंदाबांदी से वर्षाकाल में ग्वारीघाट की सीढिय़ां करीब 32 दिन डूबी रहीं। ये स्थिति शहर सहित बरगी बांध के कैचमेंट एरिया में तेज बारिश और कई बार गेट खोले जाने के कारण बनीं। जानकारों की मानें तो कई वर्षों बाद ऐसी स्थिति बनी है जब शहर किनारे नर्मदा तटों पर जलस्तर खतरें के निशान के ऊपर बना रहा। घाट कई-कई दिन तक पानी में डूबे रहे। जलभराव के साथ ही नर्मदा के तेज वेग ने नौकायन रोका। तट पर बाढ़ के हालात बने रहे। लगभग सात वर्ष पहले सामान्य से ज्यादा बारिश होने पर नर्मदा तटों की सीढिय़ां पानी में कई दिनों तक डूबी रही थीं।

सात साल बाद 32 दिन डूबा रहा ग्वारीघाट, नर्मदा तटों पर बढ़ा हुआ है जलस्तर

पानी उतरा और फिर डूब गए तट
मानूसनी बादल इस बार रुक-रुक बरसें। लेकिन जब भी सक्रिय हुए तो झमाझम बारिश हुई। तेज बारिश से जलभराव के कारण सात साल बाद बरगी बांध के 21 गेट एक साथ खोलने पड़े। इसके अलावा भी कई बार तेज बारिश हुई और कई-कई दिन बांध के 12 से 17 गेट खुल रह़े। इससे नर्मदा तट पर जल स्तर पर सामान्य से ज्यादा बना रहा। ग्वारीघाट सहित अन्य तटों पर सीढिय़ां कई बार डूबी। पानी उतरने पर घाटों की बदहाली भी सामने आयी। सफाई और सुधार की योजना बनाते ही घाट दोबारा डूब गए। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार मानसनी सीजन में 32 दिन से ज्यादा समय तक घाट डूबे हुए हैं।

 

बरगी डैम के 11 गेट से छोड़ा जा रहा है
सवा लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी
129641 क्यूसेक पानी की निकासी
422.80 मीटर मौजूदा जलस्तर
422.76 मीटर जलभराव स्तर
11 गेट खुले हैं 2.04 मीटर

बरगी डैम का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जलस्तर सुरक्षित सीमा तक बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर पानी छोड़ा जा रहा है। डैम के 11 गेट से सवा लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा जा रहा है। इसके चलते ग्वारीघाट, तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट व भेड़ाघाट समेत नर्मदा के सभी प्रमुख तटों पर जलस्तर बढ़ा हुआ है। हालांकि, रविवार के मुकाबले सोमवार को जलस्तर कम हुआ है। बरगी डैम कं ट्रोल रूम के कार्यपालन यंत्री अजय सूरे ने बताया कि तटवर्ती क्षेत्रों के रहवासियों को बाढ़ प्रभावित इलाकों में नहीं जाने के लिए कहा गया है। कैचमेंट क्षेत्र में बारिश होने पर डैम से पानी की निकासी बढ़ाई भी जा सकती है।

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