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यहां तैयार होते हैं देश के सबसे खतरनाक सैनिक, ऐसे होती है ट्रेनिंग

locationजबलपुरPublished: Feb 28, 2019 11:56:49 am

Submitted by:

Lalit kostha

यहां तैयार होते हैं देश के सबसे खतरनाक सैनिक, ऐसे होती है ट्रेनिंग

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जबलपुर। रक्षा उत्पादन के साथ शहर मातृभूमि की रक्षा के लिए जवानों को भी तैयार करता है। शहर स्थित जम्मू एंड कश्मीर रायफल रेजीमेंट सेंटर, दि ग्रेनेडियर्स रेजीमेंटल सेंटर में हर साल दो से तीन हजार जवान कड़ा प्रशिक्षण पूरा कर देश की सुरक्षा के लिए तैनात किए जाते हैं। देश में जब भी आपात स्थिति बनती है तब रक्षा क्षेत्र में जबलपुर का महत्व बढ़ जाता है। शहर की आयुध निर्माणियों में बम, बारूद, तोप और सैन्य वाहनों का निर्माण होता है। पैदल सेना में भी शहर का योगदान बढ़ जाता है। यहां टे्रनिंग के बाद जवानों को अलग-अलग रेजीमेंट में भेजा जाता है। वहां से उनकी तैनाती अलग-अलग क्षेत्रों में होती है।

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गे्रनेडियर्स रेजीमेंटल सेंटर-
ग्रेनेडियर्स रेजीमेटल सेंटर (जीआरसी) देश के चुनिंदा प्रशिक्षण केन्द्रों में है। यहां सेना के जवानों को छह से आठ महीने का चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ही वे थलसेना का हिस्सा बनते हैं। जानकारों के अनुसार, यहां पैदल सेना के रूप में जवानों को दी जाने वाली टे्रनिंग कई मायनों में अलग है।

जम्मू एंड कश्मीर रायफल्स सेंटर-
जम्मू एंड कश्मीर रायफल्स रेजीमेंट (जैक आरसी) सेंटर में जवानों को दुर्गम इलाकों में दुश्मन से मुकाबला करने का प्रशिक्षण दिया जाता है।

वन सिग्नल टे्रनिंग सेंटर
वन सिग्नल टे्रनिंग सेंटर में सैनिकों को संचार और कम्युनिकेशन की उन्नत तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाता है। सैनिकों को सुदूर इलाकों में तैनात किया जाता है। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्हें सम्पर्क में कैसे रहा जाए, इससे अवगत कराया जाता है।

कॉलेज ऑफ मटेरियल मैनेजमेंट
कॉलेज ऑफ मटेरियल मैनेजमेंट का अलग महत्व है। युद्ध में सामग्री प्रबंधन और उन्हें सुरक्षित रखने के तरीके सिखाए जाते हैं। यहां कई डिप्लोमा कोर्स कराए जाते हैं। जवानों को नई तकनीक के बारे में भी बताया जाता है।

सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों में सैनिकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद अलग-अलग जगहों पर उनकी तैनाती की जाती है। आपात स्थिति हो या शांतिकाल, सभी परिस्थितियों में काम करने का प्रशिक्षण जवानों को दिया जाता है।
– कर्नल अरुण कुमार, जनसम्पर्क अधिकारी, हेड क्वार्टर, मध्यभारत एरिया

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