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जहां अटल बिहारी ने किया परमाणु परीक्षण, वहीं गरजी ये खतरनाक तोप, चीन, पाकिस्तान दहले

locationजबलपुरPublished: Jun 14, 2018 11:31:52 am

Submitted by:

Lalit kostha

जहां अटल बिहारी ने किया परमाणु परीक्षण, वहीं गरजी ये खतरनाक तोप, चीन, पाकिस्तान दहले
 

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ज्ञानी रजक@जबलपुर. राजस्थान के पोकरण में स्वदेशी तकनीक से बनी धनुष तोप का यूजर ट्रायल सफल होने के बाद वापसी शुरू हो गई है। जीसीएफ में मरम्मत के बाद इन्हें सेना को सौंपा जा सकता है। जीसीएफ प्रशासन ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं। ओएफबी के चेयरमैन एसके चौरसिया ने भी शहर आगमन पर तोप के शीघ्र ही सेना के बेडे़ में शामिल होने के संकेत दिए थे। ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने धनुष तोप के यूजर ट्रायल के बाद आयुध निर्माणी चंद्रपुर में बनाए गए फ्यूज का टेस्ट भी कराया। करीब 50 राउंड के टेस्ट में तोप पास रही।

अब तक 4200 राउंड फायरिंग-
सेना को 38 से 40 किमी दूर तक मारक क्षमता वाली धनुष तोप की दरकार है। इसीलिए आयुध निर्माणी बोर्ड को इसे अपग्रेड करने का जिम्मा सौंपा गया था। जीसीएफ ने 155 एमएम 45 कैलीबर धनुष तोप तैयार की हैं।

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दुश्मन के रडार को छकाने में भी सक्षम है स्वदेशी बोफोर्स धनुष

भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है, जिसके पास स्वयं का गनर सिस्टम है। इतना ही नहीं ३८ किलोमीटर तक मारक क्षमता वाली धनुष तोप इलेक्ट्रिक सिस्टम से लैस है। जीएम सिंह ने बताया किसी भी गन को विकसित करने में 15 से 20 साल का समय लगता है, लेकिन जीसीएफ ने महज 7 साल में गन को तैयार कर लिया है। धनुष के 90 प्रतिशत पाट्र्स 2019 तक देशी हो जाएंगे। अब तक 12 तोप बनकर तैयार हैं। इनमें से 6 गन के जरिए लेह, बालासोर व सिक्किम में ट्रायल जारी है। जीसीएफ को सेना ने18 गन का आर्डर दिया है। अगले 5 साल में सेना को 414 गन की आवश्यकता है।
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धनुष तोप प्रोजेक्ट एक नजर
2011 में जीसीएफ को 155 एमएम केलीबर की तोप बनाने का प्रोजेक्ट मिला
2014 में धनुष का ट्रायल प्रोटोटाइप बनकर तैयार हुआ
45 महीनों में 12 प्रोटोटाइप बनकर तैयार हुए
4200 राउंड अब तक फायर किए गए
01 साल से ज्यादा समय से लगातार फायरिंग के दौरान पोखरण में तोप का मजल व बैरल क्षतिग्रस्त हुआ था
इसके बाद प्रोजेक्ट चीनी कं पोनेंट उपयोग करने को लेकर विवादों में आया
जबलपुर की अन्य आयुध निर्माणियों, पीएसयू व निजी इंडस्ट्री के साथ मिलकर प्रोजेक्ट पर काम किया

6 तोप से एक साथ सौ राउंड से ज्यादा फायर
पोखरण में यूजर ट्रायल के दौरान 6 धनुष तोपों से 7 जून को 100 राउंड से ज्यादा फायर किए गए। दक्षिण अफ्रि का से आयातित बीएमसी को भी धनुष तोप से फायर किया गया। धनुष तोप की सफलता के बाद देश के रक्षा विभाग व डीआरडीओ 155 एमएम गन सिस्टम के विकास व उत्पादन को लेकर उत्साहित है। अब देश की कई और कं पनी 155 एमएम गन सिस्टम को उत्पादित करने पर विचार कर रही हैं। धनुष तोप देश की विदेशी तोपों के आयात पर निर्भरता समाप्त कर देगी।

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360 डिग्री एंगल में धूम जाता है ‘धनुष’

‘धनुष’ की कार्यप्रणाली के दौरान देखा गया कि ये 360 डिग्री एंगल में काफी तेजी से लगातार घूम सकता है। इसके पिछले हिस्से में एक से डेढ़ फीट का उठाव होता है जो लगातार इसके घूमने में मदद करता है। इतना ही नहीं इसकी ऑटो बारूद लोडिंग टेक्नोलॉजी इसे बोफोर्स जैसी तोप से भी अलग बताती है। धनुष्य सी टेक्नोलॉजी वर्तमान में स्वीडन और फ्रांस के देशों के पास भी नहीं है। इसकी कैलिबर 155 mm है जो कि 30 सेकेंड में 3 बार लगातार फायर करता है।
यहां बनते हैं धनुष तोप से लेकर टारपीडो

धनुष तोप और टारपीडो का आपात स्थिति में उत्पादन तेज कर दिया जाता है। देश की 41 आयुध निर्माणियों में से चार शहर में हैं। इनमें 200 से अधिक तरह के सैन्य साजो-सामान का उत्पादन किया जाता है। 1965, 1971 और 1999 की लड़ाई में इनकी जबर्दस्त भूमिका रही। कुछ प्रमुख उत्पादों की बड़ी विशेषता है।
ग्रे आयरन फाउंड्री: एरियल बम और हैंड ग्रेनेड की बॉडी व एमुनेशन बॉक्स के अलावा दूसरे कलपुर्जे ढाले जाते हैं।

506 आर्मी बेस वर्कशॉप

देश के अंदर बोफोर्स तोप की मरम्मत के लिए यही एकमात्र जगह है। विशेषज्ञ कर्मचारियों द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है। इसी तरह एके-47 गन की रिपेयरिंग भी यहीं होती है।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया: वायु सेना

1000 एमबीएस- थाउजेंड पाउंडर नाम का यह बम बड़ी इमारत, कंक्रीट के ब्रिज, पहाड़ को इससे उड़ाया जा सकता है। 15 हजार मीटर ऊंचाई से एयरक्राफ्ट से गिराने पर भूकंप की तरह झटका लगता है। जमीन में बड़ा गड्ढा हो जाता है।
एरियल बम- 100-120 किग्रा वजनी इस बम का इस्तेमाल रेलवे जंक्शन, एयरबेस और बंकर्स ध्वस्त करने में किया जाता है। इसे मिग 21, 27 और 29 से दागा जाता है।

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