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CANNON IN INDIA: दुनिया की सबसे खतरनाक तोप, दुश्मनों के राडार भी नहीं खोज सकते इसकी लोकेशन

locationजबलपुरPublished: Jun 09, 2018 08:41:34 am

Submitted by:

Lalit kostha

CANNON IN INDIA: भारत ने बनाई दुनिया की सबसे खतरनाक तोप, चीन से लेकर अमेरिका तक मचा हड़कंप!

CANNON IN INDIA: भारत ने बनाई दुनिया की सबसे खतरनाक तोप, चीन से लेकर अमेरिका तक मचा हड़कंप

CANNON IN INDIA: भारत ने बनाई दुनिया की सबसे खतरनाक तोप, चीन से लेकर अमेरिका तक मचा हड़कंप

जबलपुर. एडवांस सेल्फ पोजिशनिंग सिस्टम के साथ दुश्मन के रडार को छकाते हुए लक्ष्य भेदने में सक्षम धनुष तोप अब सेना के बेड़े में शामिल होने को तैयार है। परीक्षण के दौरान 5 दिन मेंं धनुष तोप ने दनादन 300फायर किए हैं। जीसीएफ में मेक इन इंडिया के लक्ष्य को लेकर 81 प्रतिशत देशी पाट्र्स के साथ तोप तैयार की गई है। इसका अंतरराष्ट्रीय मानकों पर किया गया परीक्षण सफल रहा है। जीसीएफ के सीनियर जीएम एसके सिंह ने शुक्रवार को बताया कि लो और हाई टेम्प्रेचर से लेकर पोखरण व सीमा पर किए गए परीक्षण के दौरान भी धनुष ने दनादन गोले दागे।

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अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप टेस्टिंग सफल
दुश्मन के रडार को छकाने में भी सक्षम है स्वदेशी बोफोर्स धनुष

भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शुमार हो गया है, जिसके पास स्वयं का गनर सिस्टम है। इतना ही नहीं ३८ किलोमीटर तक मारक क्षमता वाली धनुष तोप इलेक्ट्रिक सिस्टम से लैस है। जीएम सिंह ने बताया किसी भी गन को विकसित करने में 15 से 20 साल का समय लगता है, लेकिन जीसीएफ ने महज 7 साल में गन को तैयार कर लिया है। धनुष के 90 प्रतिशत पाट्र्स 2019 तक देशी हो जाएंगे। अब तक 12 तोप बनकर तैयार हैं। इनमें से 6 गन के जरिए लेह, बालासोर व सिक्किम में ट्रायल जारी है। जीसीएफ को सेना ने18 गन का आर्डर दिया है। अगले 5 साल में सेना को 414 गन की आवश्यकता है। इस दौरान एजीएम एडमिनिस्ट्रेशन संजय पटनायक, एजीएम आरके पांडे मौजूद थे।

 

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IMAGE CREDIT: lali koshta
धनुष तोप प्रोजेक्ट एक नजर
2011 में जीसीएफ को 155 एमएम केलीबर की तोप बनाने का प्रोजेक्ट मिला
2014 में धनुष का ट्रायल प्रोटोटाइप बनकर तैयार हुआ
45 महीनों में 12 प्रोटोटाइप बनकर तैयार हुए
4200 राउंड अब तक फायर किए गए
01 साल से ज्यादा समय से लगातार फायरिंग के दौरान पोखरण में तोप का मजल व बैरल क्षतिग्रस्त हुआ था
इसके बाद प्रोजेक्ट चीनी कं पोनेंट उपयोग करने को लेकर विवादों में आया
जबलपुर की अन्य आयुध निर्माणियों, पीएसयू व निजी इंडस्ट्री के साथ मिलकर प्रोजेक्ट पर काम किया
6 तोप से एक साथ सौ राउंड से ज्यादा फायर
पोखरण में यूजर ट्रायल के दौरान 6 धनुष तोपों से 7 जून को 100 राउंड से ज्यादा फायर किए गए। दक्षिण अफ्रि का से आयातित बीएमसी को भी धनुष तोप से फायर किया गया। धनुष तोप की सफलता के बाद देश के रक्षा विभाग व डीआरडीओ 155 एमएम गन सिस्टम के विकास व उत्पादन को लेकर उत्साहित है। अब देश की कई और कं पनी 155 एमएम गन सिस्टम को उत्पादित करने पर विचार कर रही हैं। उन्होंने कहा धनुष तोप देश की विदेशी तोपों के आयात पर निर्भरता समाप्त कर देगी।
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360 डिग्री एंगल में धूम जाता है ‘धनुष’

‘धनुष’ की कार्यप्रणाली के दौरान देखा गया कि ये 360 डिग्री एंगल में काफी तेजी से लगातार घूम सकता है। इसके पिछले हिस्से में एक से डेढ़ फीट का उठाव होता है जो लगातार इसके घूमने में मदद करता है। इतना ही नहीं इसकी ऑटो बारूद लोडिंग टेक्नोलॉजी इसे बोफोर्स जैसी तोप से भी अलग बताती है। धनुष्य सी टेक्नोलॉजी वर्तमान में स्वीडन और फ्रांस के देशों के पास भी नहीं है। इसकी कैलिबर 155 mm है जो कि 30 सेकेंड में 3 बार लगातार फायर करता है।
360 डिग्री एंगल में धूम जाता है 'धनुष' 'धनुष' की कार्यप्रणाली के दौरान देखा गया कि ये 360 डिग्री एंगल में काफी तेजी से लगातार घूम सकता है। इसके पिछले हिस्से में एक से डेढ़ फीट का उठाव होता है जो लगातार इसके घूमने में मदद करता है। इतना ही नहीं इसकी ऑटो बारूद लोडिंग टेक्नोलॉजी इसे बोफोर्स जैसी तोप से भी अलग बताती है। धनुष्य सी टेक्नोलॉजी वर्तमान में स्वीडन और फ्रांस के देशों के पास भी नहीं है। इसकी कैलिबर 155 mm है जो कि 30 सेकेंड में 3 बार लगातार फायर करता है।
40 किमी पर साधेगी निशाना

धनुष तोप बोफोर्स का अपग्रेड वर्जन है। इसकी मारक क्षमता बढ़ाई गई है। तोप से 40 किमी दूरी तक निशाना साधा जा सकता है। फैक्ट्री ने इस तोप के 8 से अधिक प्रोटोटाइप तैयार कर सेना को सौंपे हैं। इसका कई जगहों पर परीक्षण भी किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक अहमदनगर स्थित अनुसंधान एवं विकास स्थापना (वीआरडीई) में जीसीएफ के द्वारा इंटरनल ट्रायल के तहत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम की जांच कराई जा रही है।
यहां बनते हैं धनुष तोप से लेकर टारपीडो

धनुष तोप और टारपीडो का आपात स्थिति में उत्पादन तेज कर दिया जाता है। देश की 41 आयुध निर्माणियों में से चार शहर में हैं। इनमें 200 से अधिक तरह के सैन्य साजो-सामान का उत्पादन किया जाता है। 1965, 1971 और 1999 की लड़ाई में इनकी जबर्दस्त भूमिका रही। कुछ प्रमुख उत्पादों की बड़ी विशेषता है।
ग्रे आयरन फाउंड्री: एरियल बम और हैंड ग्रेनेड की बॉडी व एमुनेशन बॉक्स के अलावा दूसरे कलपुर्जे ढाले जाते हैं।

506 आर्मी बेस वर्कशॉप

देश के अंदर बोफोर्स तोप की मरम्मत के लिए यही एकमात्र जगह है। विशेषज्ञ कर्मचारियों द्वारा इसका रखरखाव किया जाता है। इसी तरह एके-47 गन की रिपेयरिंग भी यहीं होती है।
ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया: वायु सेना

1000 एमबीएस- थाउजेंड पाउंडर नाम का यह बम बड़ी इमारत, कंक्रीट के ब्रिज, पहाड़ को इससे उड़ाया जा सकता है। 15 हजार मीटर ऊंचाई से एयरक्राफ्ट से गिराने पर भूकंप की तरह झटका लगता है। जमीन में बड़ा गड्ढा हो जाता है।
एरियल बम- 100-120 किग्रा वजनी इस बम का इस्तेमाल रेलवे जंक्शन, एयरबेस और बंकर्स ध्वस्त करने में किया जाता है। इसे मिग 21, 27 और 29 से दागा जाता है।

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