जबलपुर

ये है आत्महत्या करने वालों का शहर, 195 लोग इस साल कर चुके सुसाइड

संस्कारधानी में औसतन रोज एक आत्महत्या का मामला सामने आता है। प्रेम प्रसंग के बाद घरेलू कलह दूसरा बड़ा कारण है, जिसके चलते लोग जान दे रहे हैं।

जबलपुरSep 10, 2019 / 11:46 am

Lalit kostha

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जबलपुर/ नौकरी, परिवार और सामाजिक जिम्मेदारियों में फंसकर कई बार लोग तनाव में आ जाते हैं। ये तनाव कब उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दें, ये पीडि़त व्यक्ति भी नहीं समझ पाता। संस्कारधानी में औसतन रोज एक आत्महत्या का मामला सामने आता है। प्रेम प्रसंग के बाद घरेलू कलह दूसरा बड़ा कारण है, जिसके चलते लोग जान दे रहे हैं। जनवरी से 06 सितम्बर के बीच में 195 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। मनोचिकित्सक और सामाजशास्त्री की मानें तो भौतिकतावाद की होड़ में युवा हार मान ले रहा है।

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आठ अगस्त को क्राइम ब्रांच में पदस्थ आरक्षक राहुल सिंह सेंगर (30) ने सर्विस पिस्टल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस जांच में सामने आया कि पति-पत्नी के बीच घरेलू कलह चल रही थी। कटंगी में 11 जुलाई को प्रौढ़ सूदखोरों से परेशान होकर जहर खा लिया। पांच मई को सिहोरा में शिक्षिका फंदे से झूल गई। 14 मई को होमगार्ड में एएसआई ने ड्यूटी से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। 28 मई को बरगी में पीएचई के एक कर्मी ने आत्महत्या कर ली।

 

संजीवनी का प्रचार-प्रसार नहीं
पुलिस की तरफ से आत्महत्याओं की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए संजीवनी का संचालन किया जा रहा है। पर प्रचार-प्रसार के अभाव में ये विभाग नाममात्र का रह गया है। 02 जून 2014 को शुरू हुए संजीवनी का उद्देश्य आत्महत्या की मनोवृत्ति से परेशान लोगों की काउंसलिंग कर इससे उबारना था। जनवरी से अब तक महज आठ मामले यहां आए।

पुरुषों में आत्महत्या की मनोवृत्ति अधिक
जिले में आत्महत्या करने वालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो महिलाओं की तुलना में पुरुषों में इसकी मनोवृत्ति अधिक पायी गई। समाजशास्त्री प्रो. एसएस ठाकुर कहते हैं कि अपना समाज पुरुष प्रधान है। महिलाओं की अपेक्षा पुरुष अपनी परेशानियों को किसी दूसरे के सामने कम ही उजागर कर पाते हैं।

 

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बचाव के लिए ये करें
– नकारात्मकता पर ध्यान न दें
– अपने सकारात्मक पहलू के बारे में सोचें
– समस्या से निकलने का हल ढूंढ़े
– दोस्तों या अभिभावक या फिर चिकित्सक से इसके बारे में खुलकर चर्चा करें
– डायरी में अपनी परेशानी लिखें
– तनाव में अकेले की बजाय परिवार या मित्रों के साथ अधिक पल गुजारे
– मनोरंजन या किसी पिकनिक स्पॉट पर चले जाएं।

 

आत्महत्या की मनोवृत्ति भी एक बीमारी है। आत्मबल कमजोर होने और एक साथ कई क्षेत्रों जैसे परिवारिक, सामाजिक, व्यक्तिगत और कैरियर का दबाव पडऩे पर अक्सर लोग अवसादग्रस्त होकर ऐसा कदम उठाते हैं। यदि एक महीने से लगातार थकान, सांसों का फूलना, नींद न आना, असमय डायबिटिज और गुस्सा आना और बार-बार मन में आत्महत्या का विचार आ रहा हो तो सावधान हो जाएं।
– डॉ. रत्ना जौहरी, मनोवैज्ञानिक

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