एक तरफ जहां ये कहा जा रहा है कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में नहीं आना है। उससे संक्रमण फैलेगा। ऐसा हो भी रहा है। लेकिन एक मां और नवजात के बीच का पाक रिश्ता दोनों को सेव कर रहा है। संक्रमित मां द्वारा नवजात को स्तनपान कराना, बच्चे के लिए जीवन दान सरीखा साबित हो रहा है। कम से कम जबलपुर मेडिकल कॉलेज के उदाहरण तो यही बता रहे हैं।
जबलपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोविड संक्रमित वार्ड के डॉक्टर संजय भारती का दावा है कि उनके यहां नवजात को जन्म देने वाली छह कोरोना संक्रमित महिलाओं का इलाज चल रहा था। ये सभी महिलाएं कोरोना संक्रमण काल में अपने बच्चों को स्तनपान कराती रहीं। लेकिन किसी बच्चे में कोरोना संक्रमण के लक्षण नहीं मिले।
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मां जब संक्रमित थी तो उन्हें अलग वार्ड में और नवजात को अलग वार्ड में रखा जा रहा था। केवल स्तनपान के लिए नवजात को उनकी मां के पास ले जाया जाता था। इस क्रिया से पहले मां और नवजात दोनों को पूरी तरह सैनेटाइज कर दिया जाता था। ताकि संक्रमण फैलने का खतरा ना हो।
लेकिन स्तनपान के वक्त नवजात और उसकी संक्रमित मां साथ-साथ होते थे। यहां तक की नवजात की बॉडी में संक्रमित मां के शरीर से ही दूध पहुंच रहा था। बावजूद इसके किसी भी नवजात में कोरोना संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है।
अब डॉक्टरों का कहना है कि यह तो सच है कि मांग के दूध में एंटीबॉडी होती है, फिर भी यह जांच का विषय है। वैसे मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की सलाह है कि किसी भी सूरत में मां को अपने बच्चे को स्तनपान जरूर कराना चाहिए।