यह था मामला
सांकल गांव में एक जनवरी 2017 को अशोक रजक की भाभी बरखा रजक ने शिकायत दर्ज कराई थी कि अशोक ने वृद्ध मां की इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि उसकी मां ने दोपहर तक सो रहे अपने बेटे को जगाया। सोते में से जगाने पर अशोक इतना उग्र हो गया कि उसने मां का रास्ते ही हटाने की ठान ली। जिस वक्त वह उठा उस समय मां आंगन में बैठी कुछ काम कर रही थी। कलयुगी कुपुत्र ने मां के सिर पर डंडे से दनादन वार करने शुर कर दिए।
नहीं पिघला कलेजा
निर्दयी बेटे की मार से मां कराहती रही, लेकिन अशोक का कलेजा नहीं पसीजा। रोती, चीखती हुई रक्तरंजित मां को वह आंगन से घसीटते हुए बाड़े में ले गया और फावड़े से उसका सिर अलग कर दिया। इस दौरान पूरा गांव इक_ा हो गया था। बेटे की करतूत देखकर लोगों का कलेजा कांप गया। किसी के पास शब्द नहीं थे। हर स्तब्ध था। सूचना पर पुलिस ने आरोपित अशोक को गिरफ्तार कर दिया। थाना प्रभारी राकेश भारती ने साक्ष्य जुटाए। डॉक्टर जीसी चौरसिया और पुलिस के बयान दर्ज किए गए। वृद्धा के शरीर पर 12 चोटों के निशान पाए गए।
खुद को पागल बताने की कोशिश
आरोपी बेटे ने सुनवाई के दौरान खुद को पागल बताने की कोशिश की, लेकिन जबलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मनोचिकित्सक रत्नेश कुरारिया ने इसकी पुष्टि नहीं की। अतिरिक्त अधिकारी प्रदीप भटेले ने अभियोजन पर साक्ष्य पेश किए। साक्ष्यों के आधार पर माननीय न्यायालय ने अशोक को क्रूरतम कृत्य का दोषी पाया। उसने न केवल हत्या की बल्कि ममत्व का भी गला घोंट दिया। अशोक को फांसी की सजा सुनायी गई है।