यह है मामला
गोरखपुर निवासी संतप्यारी मरचंदा की ओर से यह परिवाद दायर कर कहा गया कि उसके पति आरसी मरचंदा सर्वे ऑफ इंडिया में कार्यरत थे। 1988 में उन्होंने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। रिटायरमेंट के समय उनके बैंक खाते में 21 लाख रुपए से अधिक रकम जमा थी। इसके अलावा उन्हें करीब 40 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन भी मिलती थी। अधिवक्ता अमन शर्मा ने तर्क दिया कि 2 नवंबर 2018 को परिवादी के पति का लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया। उनके संस्कार के लिए परिवादी ने अपने पुत्र श्रीचंद मरचंदा को पति के पेंशन खाते की पासबुक देकर एक लाख रुपए निकालने को कहा। उसके पुत्र श्रीचंद व पोते विवेक ने फर्जीवाड़ा कर खाते में से 21 लाख रुपए से अधिक रकम निकाल ली। खाते में महज 44 पैसे बचे थे, तब उन्हें पासबुक वापस की गई। निकाली गई रक म मांगने पर आरोपितों ने उसे घर से निकाल दिया। मामले की शिकायत गोरखपुर थाने व एसपी से भी की गई। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए अदालत की शरण लेनी पड़ी। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया।