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Mother’s day Special : पढ़ाई में औसत था, मां ही हैं जिनकी बदौलत बना प्रधान वैज्ञानिक

locationजबलपुरPublished: May 12, 2019 02:09:36 am

Submitted by:

abhishek dixit

कायम की मिसाल – हाईस्कूल के बाद लिखी कामयाबी की इबारत

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नेहा सेन @ जबलपुर. हाईस्कूल तक औसत नम्बर पाने वाले डॉ. निपुण सिलावट मां की प्रेरणा से मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (एमपीसीएसटी) भोपाल में प्रधान वैज्ञानिक के पद तक पहुंचने में कामयाब हुए। उन्हें बचपन से विज्ञान की रोमांचक दुनिया पसंद थी। उनका मन प्रकृति में छिपे रहस्यों को जानने में अधिक रमता था। इसलिए किताबी दुनिया से दूर भागने की कोशिश करते। प्राथमिक से लेकर हाईस्कूल तक खूब पढ़ाई करने बाद भी कम नम्बर हासिल हुए। साथियों की तुलना में पिछड़ जाने का मलाल रहता था, लेकिन नम्बरों के लिए उनके पैरेंट्स ने कभी दबाव नहीं बनाया। उनके पिता पेशे से डॉक्टर और मां गृहिणी हैं। खासकर मां कांता सिलावट ने मोटीवेटर के रूप में हमेशा उनका साथ दिया। वे अक्सर यह कहकर हौसला देतीं कि कंसेप्ट पर ध्यान दो, अंकों की चिंता छोड़ दो।

उन्होंने बताया कि ‘मां के इसी सूत्र को ध्यान में रखते हुए कंसेप्ट स्टडी पर खुद को झोंक दिया। नतीजा आपके सामने है।1989 में जब मैं आठवीं में पढ़ता था। बोर्ड एग्जाम होने के कारण हमेशा इस बात का डर रहता था कि पता नहीं कितने परसेंट आएंगे? रिजल्ट आया, तो 60 प्रतिशत ही अंक मिले। कुछ साथी इस बात से खुश थे, वे मेरिट में आए और उनकी तस्वीर अख़बारों में आई। लेकिन, मेरी मां मेरे रिजल्ट से तब भी खुश थीं और उन्हें गर्व था कि उनके बेटे ने बोर्ड एग्जाम पास कर लिया। हाईस्कूल तक ऐसा ही चला। तमाम कोशिशों के बावजूद 12वीं में 70 प्रतिशत के आसपास अंक हासिल हुए।

खुद को उदाहरण के रूप में रखता हूं सामने
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से माइक्रोबायोलॉजी में पीजी करने के बाद यहीं से पीएचडी की। एमपीसीएसटी में 2007 से पदस्थ हूं। मैं आज भी मां की प्रेरणा को अक्सर याद करता हूं। स्कूल-कॉलेज में लेक्चर देने जाता हूं, तो खुद को उदाहरण के रूप में सामने रखकर बच्चों को प्रोत्साहित करता हूं कि नम्बर कम आएं, तो दिल छोटा मत करो। हौसले के साथ आगे बढ़ो। देखें ञ्च पत्रिका प्लस

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