ये है मामला
मंडला जिले की नैनपुर तहसील अंतर्गत पायली ग्राम निवासी बहनों आरती व नीतू झारिया की ओर से अपील दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता निखिल तिवारी ने बताया कि योजना के तहत याचिकाकर्ताओं ने १२ वीं में दाखिला लेने के बाद परीक्षा देने के लिए आवेदन पत्र स्कूल के जरिए मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल को भेजा। लेकिन माशिमं ने ये आवेदन पत्र निरस्त कर दिए।
अस्थाई एडमिशन और पूरक की पास
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सत्र 2015-16 के सत्र में कक्षा 10वीं में एडमीशन लेने के बाद उनकी परीक्षाएं मार्च, 2016 में हुईं थीं। रिजल्ट आने पर पता चला कि आवेदकों को सप्लीमेन्ट्री आई है। इसी बीच परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों द्वारा किए जाने वाले सुसाइड को रोकने राज्य सरकार ने रुक जाना नहीं नाम की एक योजना बनाई। आवेदकों ने एक तरफ तो सत्र 2016-17 के सत्र में 11वीं कक्षा में अस्थाई एडमीशन लिया और सरकार की योजना के तहत 10वीं की पूरक परीक्षा वर्ष 2017 में दी।
दो साल पूरे नहीं हुए इसलिए…
10वीं की पूरक परीक्षा का रिजल्ट आ जाने के बाद आवेदकों ने कक्षा 11वीं की परीक्षा भी उत्तीणज़् की और फिर सत्र 2017-18 के सत्र में उन्होंने 12वीं कक्षा में एडमीशन लिया। परीक्षा फॉर्म स्कूल के माध्यम से जमा कराने के बाद आवेदकों को 22 नवम्बर 2017 को पता चला कि उनके फार्म निरस्त कर दिए गए हैं। वजह बताई गई कि उन्होंने 10वीं की परीक्षा के बाद दो साल पूरे नहीं किए, इसलिए उन्हें वषज़् 2018 में 12वीं की परीक्षा में शामिल नहीं किया जा सकता। इस पर ये मामले हाईकोर्ट में दायर किए गए थे।
सरकार ने कहा देंगे मौका
कोर्ट की सिंगल बेंच में इस मामले में याचिका के जरिए चुनौती दी। लेकिन कोर्ट ने याचिका में हस्तक्षंेप करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में योजना के तहत शामिल करीब 1800 विद्यार्थियों को माशिमं की इस मनमानी के चलते १२ वीं परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया गया। वहीं सरकार की ओर से कहा गया कि ओपन बोर्ड के तहत इन छात्रों को जून में होने वाली पूरक परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाएगा। इसके लिए 14 मार्च को आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इसे रिकार्ड पर लेकर कोर्ट ने याचिका का पटाक्षेप कर दिया।