हाईकोर्ट में मामला, शासकीय अस्पताल में कार्यरत न होने के आधार पर दावा खारिज करने को चुनौती
सतना निवासी अंशु खरे की ओर से अधिवक्ता संजय वर्मा, कमलेश बहादुर सिंह व मीना वर्मा ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता के पति नितिन कुमार खरे प्रिज्म जानसन लिमिटेड, सीमेंट प्लांट, सतना के अंतर्गत संचालित निजी अस्पताल में असिस्टेंट मेडिकल आफिसर के रूप में कार्यरत थे। इस दौरान वे स्वयं कोविड पाजिटिव हो गए। इसी वजह से उनका निधन हो गया। याचिकाकर्ता ने अपने पति की मौत के लिए कोविड-19 योद्धा योजना के तहत 50 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि दिए जाने का दावा पेश किया। जिसे महज इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि याचिकाकर्ता के पति किसी शासकीय अस्पताल में कार्यरत नहीं थे।
निजी अस्पताल में कार्यरत होने के कारण उनके संदर्भ में कोविड-19 योद्धा योजना अंतर्गत 50 लाख की क्षतिपूर्ति राशि प्रदान किए जाने का दावा मंजूर नहीं किया जा सकता। तर्क दिया गया कि सरकारी और निजी अस्पतालों के कर्मियों, खासकर फ्रंटलाइन वर्कर्स के साथ इस मसले में भेदभाव किया जाना न केवल संविधान के तहत प्रदत्त मूल अधिकारों का हनन है, बल्कि मानवता के भी खिलाफ है। प्रारम्भिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने अनावेदकों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।