जानकारी के अनुसार नाबालिगों के गायब होने के मामले में पुलिस अपहरण का प्रकरण दर्ज करती है। इसकी मॉनीटरिंग क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। जिले से गायब होने वाले बच्चों के मामले में थानों को प्रतिदिन अपडेट करना होता है। वर्ष 2019 में गुमे नाबालिगों की तलाश के लिए पुलिस ने अभियान चलाया था। इसीलिए 340 नाबालिगों को खोजा जा सका है। यह अब तक के रिकॉर्ड में सर्वाधिक है। जिले में हर माह औसतन 50 बालिक-बालिकाएं गुम होते हैं। इसमें भी बालिकाओं की संख्या बालकों की तुलना में ढाई गुना से अधिक है।
एक साल में 593 नाबालिग गुमे, 251 का अब तक पता नहीं
जिले में 19 बालक-बालिकाओं का एक वर्ष से पता नहीं चल सका। इसमें आठ बालक और 11 बालिकाएं हैं। 20 बालक-बालिकाएं 11 महीने से गायब हैं।क्राइम ब्रांच के दस्तावेजों के अनुसार 80 प्रतिशत प्रकरणों में बालिकाओं के गुम होने में प्रेम-प्रसंग का मामला सामने आया है। कुछ परिजन की डांट और पढ़ाई के डर से भी भागे हैं।
जिले के गुम बालक-बालिकाओं को दस्तयाब करने के लिए 2019 में बेहतर प्रयास किए गए। बड़ी संख्या में बालक-बालिकाएं खुद ही लौट आए, लेकिन उनकी सूचना थाने तक नहीं पहुंची। गुमे बच्चों के फोटो विवरण सहित पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं। देशभर के थानों से इनका लिंक जुड़ा होता है।
– शिवेश सिंह बघेल, क्राइम एएसपी