अनूपपुर निवासी छात्रा अंजली पांडे ने याचिका में कहा कि वह 2017 में उत्कृष्टता उमावि लखौरा पुष्पराजगढ़ केंद्र से दसवीं बोर्ड की परीक्षा में शामिल हुई। परीक्षा में उसे सोशल साइंस विषय में 22 अंक मिले, जबकि अन्य पांच विषयों में 90 से अधिक अंक मिले। रिटोटलिंग के लिए आवेदन पर अंक नहीं बढ़े तो याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट के निर्देश पर उत्तर पुस्तिका के निरीक्षण से जानकारी हुई कि छात्रा की उत्तर पुस्तिका बदल गई। किसी अन्य की उत्तरपुस्तिका में काट-छांट कर उसका रोल नंबर लिख दिया गया। जबकि मूल उत्तर पुस्तिका की जांच में याचिकाकर्ता को 86 अंक मिले। छात्रा को तत्काल संशोधित अंकसूची दे दी गई। हाईकोर्ट ने इस लापरवाही के लिए केन्द्राध्यक्ष व पर्यवेक्षक को जिम्मेदार माना । कोर्ट से आग्रह किया गया कि माशिमं, केन्द्राध्यक्ष व पर्यवेक्षक की लापरवाही की वजह से छात्रा को बेवजह परेशानी उठानी पड़ी। इसके लिए उसे हर्जाना दिलाया जाए। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने माशिमं, केन्द्राध्यक्ष व पर्यवेक्षक को कहा कि वे छात्रा को निर्देशित हर्जाना चुकाएं।