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स्कूल बसों का सबसे बड़ा खुलासा, सावधान हो जाएं, वरना पछताना पड़ेगा…

locationजबलपुरPublished: Dec 19, 2018 11:37:42 am

Submitted by:

Lalit kostha

स्कूल बसों का सबसे बड़ा खुलासा, सावधान हो जाएं, वरना पछताना पड़ेगा…

school bus

School buses with passenger buses were acquired

जबलपुर. शहर के स्कूल संचालक ट्रांसपोर्ट सुविधा के नाम पर पैसा तो भरपूर वसूल रहे हैं, लेकिन सुविधा पूरी नहीं दे रहे हैं। हालात ये हैं कि बसें घर से काफी दूर खड़ी की जाती हैं। अभिभावकों को पांच मिनट में समय का मिलान करना पड़ता है, नहीं पहुंचे तो बस चल देती हैं। बसों की महीनों सफाई नहीं होती। अंदर बदबू और दुर्गंध से बच्चे परेशान होते हैं। स्कूल बस संचालकों की मनमानियों को लेकर न तो आरटीओ, जिला प्रशासन की कार्रवाई नजर जा रही है, न ही स्कूल प्रबंधन ध्यान दे रहा है। जिले में 55 सीबीएसइ से जुड़े स्कूल हैं। जिसमें करीब 35 स्कूलों में बस सुविधा उपलब्ध है। कुछ स्कूलों द्वारा खुद परिवहन व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है, तो वहीं कुछ ने इसके लिए वेंडर लगा रखे हैं।
नहीं होती आंखों की जांच- बस ड्राइवरों, कंडेक्टरों की फिटनेस जांच होनी अनिवार्य है। जिसमें ड्राइवरों को आंखों की जांच कराई जाना जरूरी है, लेकिन ऐसा नहीं किया जाता।

छात्राओं की सुरक्षा में भी लापरवाही-
छात्राओं की सुरक्षा में भी स्कूलों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है। स्कूलों को निर्देश दिए गए थे कि सम्बंधित एरिया में स्कूल की एक शिक्षिका या महिला कर्मचारी को केयर टेकर के रूप में बस के साथ रवाना किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा। स्कूल से घर की कुछ किलोमीटर की दूरी होने के बाद भी किराया एक जैसा वसूला जाता है।

news facts- घर से दूर खड़ी होती हैं बसें, दौड़ते-भागते पहुंचते हैं बच्चे
नियम और कायदों को हवा में उड़ाकर चल रहीं स्कूल बसें

 

mp government new rules for school buses
IMAGE CREDIT: lali koshta

केस-01
एक बड़े स्कूल की बस रामपुर स्थित भोले कुटी के पास खड़ी होती है। बच्चों को सुबह बस तक दौड़ लगानी पड़ती है। पांच मिनट देर हो जाए तो बस रवाना हो जाती है।
केस-02
सदर स्थित एक स्कूल प्रबंधन की खुद की बस कटंगा सडक़ पर ही बच्चों को छोड़ कर चली जाती है। इस बीच छोटे बच्चों को 30 मीटर गली केअंदर खुद जाना पड़ता है। न कंडेक्टर होता है न कोई देखने वाला।
केस-03
राइट टाउन स्थित एक स्कूल की बस गढ़ा में सिर्फ 6 मिनट खड़ी होती है। तीन बार सायरन बजाती है और उसके बाद रवाना हो जाती है। बस में आती दुर्गंध से बच्चे परेशान रहते हैं।

55 सीबीएसइ स्कूल
70 हजार छात्र अध्ययनरत
400 स्कूल बसें
20 हजार छात्र बस में जाने वाले
40 फीसदी बसें खटारा
60 फीसदी के पास लाइसेंस

यह हैं हालात
बच्चों को बीच सडक़ पर करते हैं ड्राप
लड़कियों की सुरक्षा के लिए महिला केयर टेकर नहीं
बसों की महीनों नहीं होती सफाई
गंदगी बदबू से बच्चों के बीमार होने का खतरा
बसों की रफ्तार पर कंट्रोलिंग नहीं
क्षमता से अधिक बिठाए जाते हैं बच्चे

यह है सुको की गाइड लाइन
वाहन में पीला रंग होना चाहिए
आगे पीछे वाहन का नम्बर, स्कूल की जानकारी
इंडिकेटर, वाइपर, हेडलाइट दुरुस्त होनी चाहिए
ड्राइवर का लायसेस और वर्दी जरूरी
गाड़ी का परमिट व बीमा जरूरी
फस्ट एंड बॉक्स अनिवार्य

कोशिश रहती है कि अच्छी ट्रांसपोर्ट सुविधा दी जाए। स्कूलों को हिदायत है कि स्कूल बसों में सेफ्टी नियमों का पालन करें। जहां वेंडर हैं, वहां कुछ परेशानी हो सकती है।
राजेश चंदेल, अध्यक्ष सहोदय ग्रुप

स्कूल बसों की मनमानी को लेकर जांच कराई जाएगी। नियमों का पालन न करने वाले स्कूल संचालकों, बस ऑपरेटरों को समझाया जाएगा।
संतोष पॉल, आरटीओ


बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूलों को पहले से निर्देशित किया गया है। लापरवाही बरत रहे हैं तो मामले की जांच कराई जाएगी।
महेंद्र सिंह, डीएसपी, ट्रैफिक

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