डीजे लगाकर बोला
भारत बंद के दौरान 2 अप्रैल को कुछ वकील तहसील चौक पर प्रदर्शन कर रहे थे। एससी-एसटी एक्ट में संशोधन वापिस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे इन वकीलों ने डीजे लगाकर सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के लिए अभद्र भाषावली का उपयोग किया था। वकीलों के इस प्रदर्शन को वकीलों के बड़े वर्ग में रोष था। घटना के बाद से इन वकीलों के विरुद्ध कार्रवाई की आवाज उठ रही थी।
अवमानना प्रकरण भी
मप्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा २ अप्रैल को भारत बंद के दौरान तहसील चौक पर हुई घटना के बाद गुरुवार को सभा बैठक बुलाई गई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इसके लिए संबंधित वकीलों को शोकॉज नोटिस देकर बार से निकाला जाएगा। लगभग ढाई घंटे चली बैठक में निर्णय लिया गया कि एेसे वकीलों के खिलाफ अदालत की अवमानना का प्रकरण भी दायर किया जाएगा।
सुको के निर्णय को सराहा
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी ने प्रस्ताव रखा कि उक्त अशोभनीय कृत्यों में शामिल वकीलों को तत्काल शोकॉज नोटिस देकर जवाब मांगा जाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससीएसटी एक्ट में किए गए संशोधन की सराहना में अधिवक्ताओं से पूछा कि यह ठीक है या नहीं। इस पर पूरा हॉल वकीलों की हां से गूंज उठा।
ग्वालियर में हाईकोर्ट ने खुद संभाला था मोर्चा
त्रिवेदी ने कहा कि बंद के दिन स्थितियां प्रदेश सरकार के नियंत्रण में नहीं थीं। उन्होंने बताया कि उस दिन हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने बार अध्यक्ष अनिल शर्मा की सूचना पर निरीह नागरिकों की रक्षा की बागडोर खुद संभाली। हर दो घंटे में समीक्षा कर पुलिस, प्रशासन को खुद निर्देश दिए। स्कूली बच्चों व आम नागरिकों के जान-माल की रक्षा का दायित्च न्यायाधिपतियों ने स्वयं मॉनीटर किया। पूर्व सचिव मनीष तिवारी, पूर्व अध्यक्ष उमेश पांडे, राजेश खरे, पारितोष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी, विनय शंकर पांडे, एसडी गुप्ता, शशिकांत मिश्रा, प्रभाकर सिंह, सीएम तिवारी, पंकज तिवारी, नितिन गुप्ता, प्रशांत अवस्थी, आनंद शुक्ला, सरिता तिवारी ने उक्त घटना को अशोभनीय बताते हुए निंदा प्रस्ताव पारित किया। सचिव शशांक शेखर ने सभा का संचालन किया।