सीबीआई कोर्ट ने नहीं दी थी जमानत
भदौरिया फिलहाल जेल में हैं। उस पर सीबीआई ने व्यापमं घोटाले के तहत प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) 2012 सहित अन्य परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा का आरोप है। आरोप है कि उसने 18 ऐसे उम्मीदवारों के नाम चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेजे, जिन्होंने कभी प्रवेश ही नहीं लिया। 88 छात्रों को फर्जी तरीके से प्रवेश दिया। उसके खिलाफ 23 नवंबर को भादंवि की धारा 420,467,468,471,120 बी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आईटी एक्ट व मप्र मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत चालान पेश किया गया। सीबीआई कोर्ट ने उसकी जमानत अर्जी निरस्त कर दी थी।
तीन माह तक रहा फरार
23 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने उसे सरेंडर करने के निर्देश दिए। लेकिन वह 27 मार्च 2019 तक फरार रहा। 27 मार्च 2019 से वह जेल में है। कोर्ट को बताया गया कि भदौरिया गंभीर रूप से बीमार हैं। इसके चलते उसे हमीदिया अस्पताल में भी भर्ती कराया गया। पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर एसएन विजयवर्गीय को मेडिकल आधार पर मिली जमानत का हवाला दिया गया। जबकि सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जिनेन्द्र कुमार जैन ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जेल में भदौरिया को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया हैं। उन्होंने आगे भी आवश्यक सभी चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराते रहने का आश्वासन दिया। तर्क दिया कि विजयवर्गीय को आयु 76 वर्ष होने व मल्टीपल बीमारियों के चलते जमानत दी गई। सहमत होकर कोर्ट ने भदौरिया की अर्जी निरस्त कर दी। भदौरिया का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन सिंह, सुरेंद्र सिंह, एनएस रूपराह, पराग चतुर्वेदी ने रखा।