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Mp High Court का महत्वपूर्ण फैसला : मेडिकल कॉलेज से निकाले गए 341 कर्मियों को राहत

locationजबलपुरPublished: Jul 12, 2019 12:42:52 am

Submitted by:

abhishek dixit

Mp High Court का महत्वपूर्ण फैसला : मेडिकल कॉलेज से निकाले गए 341 कर्मियों को राहत

MP High Court Jabalpur Latest News

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जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने 341 निष्कासित कर्मियों के मामले में नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर की याचिका का निराकरण कर दिया। इससे लेबर कोर्ट में लंबित इन निष्कासित कर्मियों के मामले की सुनवाई पर लगा स्थगन स्वत: समाप्त हो गया और आगे सुनवाई की राह प्रशस्त हो गई। जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच ने लेबर कोर्ट का आदेश निरस्त करते हुए कॉलेज के आवेदन पर अतिरिक्त वाद बिंदु निर्धारित करने का निर्देश दिया।

यह है मामला
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि 11 अगस्त 2015 को कॉलेज प्रबंधन ने 341 दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया। इनमें से कई 15-20 साल से कार्यरत थे। इसके खिलाफ नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी संघ ने लेबर कमिश्नर को आवेदन देकर सभी 341 कर्मियों को बहाल करने का आग्रह किया। अतिरिक्त कमिश्नर श्रम विभाग इंदौर ने 30 मई 2016 को मामले को लेबर कोर्ट जबलपुर मे समक्ष यह निर्धारित करने के लिए भेज दिया कि याचिकाकर्ता संघ के सदस्य कर्मियों को हटाना वैध है या अवैध? यदि अवैध है तो उन्हें राहत देने के लिए क्या निर्देश दिए जा सकते हैं?

मेडिकल कॉलेज ने जताई आपत्ति
इस पर कॉलेज की ओर से लेबर कोर्ट में आपत्ति पेश कर कहा कि याचिकाकर्ता संघ के प्रत्येक 341 सदस्य कर्मियों की पहचान सुनिश्चित की जाए। ताकि संघ के पक्ष में आदेश पारित किए जाने की दशा में वास्तविक सदस्य कर्मियों को ही आदेश का लाभ मिले। आदेश का दुरुपयोग कर संघ दूसरे व्यक्तियों को अनुचित लाभ न दिला सके। इसलिए इसे अतिरिक्त वाद बिंदु के रूप में जोड़कर मामले की सुनवाई की जा सके। इसे लेबर कोर्ट ने 13 मार्च 2019 को खारिज क र दिया। इसी आदेश को कॉलेज ने याचिका में चुनौती दी।

सुनवाई पर लगी थी रोक
15 अप्रैल 2019 को हाईकोर्ट ने लेबर कोर्ट में मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी। अधिवक्ता राजेश चंद ने तर्क दिया कि यह दुष्कर कार्य है। जबकि कॉलेज ने प्रत्येक सदस्य की पहचान सुनिश्चत करने का निर्देश देने का आग्रह किया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने लेबर कोर्ट का उक्त आदेश निरस्त कर दिया। लेबर कोर्ट को निर्देश दिए गए कि संघ के प्रत्येक सदस्य की पहचान सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रबंध करें व इसे अतिरिक्त वाद बिंदु के रूप मेंं जोड़ा जाए। सभी पक्षकारों को पहचान सुनिश्चित करने में सहयोग प्रदान करने को कहा गया है।

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