यह है मामला
अनूपपुर जिले के चुलकारी गांव निवासी उषा बाई केवट ने याचिका दायर कर कहा है कि उसका विवाह संजू केवट के साथ हुआ। जिससे उसे पुत्र है। दहेज प्रताडऩा को लेकर वह पति से अलग रह रही थी। ग्राम न्यायालय अनूपपुर में उसने भरण पोषण का आवेदन दिया। ग्राम न्यायालय ने उसके पक्ष में उसे १००० व बच्चे को ६०० रुपए प्रतिमाह खर्च दिए जाने का आदेश दिया। इस आदेश को जेएमएफसी की कोर्ट में चुनौती दी गई। यहां सुनवाई के दौरान संजू ने उषा को अपनी पत्नी मानने से इंकार कर दिया।
कमाई का कोई जरिया नहीं
संजू के दावों के बाद कोर्ट ने उषा के बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने के निर्देश दिए। इस आदेश को उषा ने एडीजे कोर्ट में चुनौती दी। ४ अक्टूबर २०१६ को उसकी याचिका खारिज कर मामला वापस ट्रायल कोर्ट भेजने के आदेश दिए गए। इस आदेश को यह कहते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, कि याचिकाक र्ता की कमाई का कोई जरिया नहीं है। लिहाजा ग्राम न्यायालय द्वारा बांधा गया खर्चा रद्द न किया जाए। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने एडीजे कोर्ट का आदेश उचित पाते हुए याचिका खारिज कर दी।
फिर फैसला होगा पिता कौन है?
मप्र हाईकोर्ट में अनूपपुर जिले की एक महिला द्वारा दायर इस मामले में पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि अनूपपुर जिला अदालत द्वारा दिया गया बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश उचित और हस्तक्षेप अयोग्य है। जस्टिस वंदना कसरेकर की सिंगल बेंच ने कहा कि इसके बाद ही यह फैसला होगा कि बच्चे का पिता कौन है? इसलिए मामला विचारण न्यायालय को पुनर्विचार के लिए भेजा जाना सही है।