नियमों की धज्जियां उड़ाई
जबलपुर के ज्ञानप्रकाश ने याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सहित देश भर में परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। भारत में सड़क परिवहन नियंत्रण के लिए बनाया गया मोटर वीकल एक्ट १९८८ वर्ष १९६८ में विएना में हुए सड़क परिवहन पर अंंतरराष्ट्रीय समझौते से प्रेरित है। समझौते के अनुसार पैदल चलने वालों को सड़क के दायीं ओर और वाहनों को बायीं ओर चलना चाहिए, जिससे पैदल चलने वाले सामने से आ रहे वाहनों को स्पष्ट रूप से देख सकें।
मौतों के चलते यह समझौता
सड़क दुर्घटनाओं में पैदल चलने वालों की बढ़ती जा रही मौतों के चलते यह समझौता किया गया था। इस पर भारत ने भी हस्ताक्षर किए थे। लेकिन इसका यह नियम अभी तक लागू नहीं किया गया। लोग हाईवे पर भी बायीं तरफ ही चलते हैं। इसके चलते सड़क दुर्घटनाओं में पैदल चलने वालों की मृत्यु के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं।
नोडल अधिकारी नहीं हुए नियुक्त
नेशनल हाईवे की देखरेख के लिए एनएचएआई को नोडल अधिकारी नियुक्त करना था, लेकिन यह कार्य राज्य सरकार के हवाले कर दिया गया है। बुधवार को याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि केंद्र सरकार का इस संबंध मंे जवाब नहीं आया है। इस पर केंद्र सरकार की ओर से मोहलत मांगी गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर अगली सुनवाई एक फरवरी नियत की।
प्रतिवर्ष 50 लाख लोगों की मौत
ज्ञान प्रकाश ने वर्ष 2006 में यह याचिका दायर करके नियमों का पालन नहीं होने के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि नेशनल हाईवे में होने वाली दुर्घटनाओं के कारण प्रतिवर्ष 50 लाख लोगों की मौतें होती हैं, क्योंकि वहां पर नियमों का पालन नहीं होता। याचिका के मुताबिक विएना अंतरराष्ट्रीय समझौते के मुताबिक भारत सहित 70 देखों ने इस बात के लिए हस्ताक्षर किये थे कि पैदल चलने वाले व्यक्तियों को वाहनों की दिशा के विपरीत चलना चाहिए। इसे पैदल चलने वालों के लिए यूनिवर्सल लॉ भी माना जाता है।