MP High Court ने राज्य सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की याचिका पर दिया ये बड़ा फैसला
बाहरी राज्यों के लिए 40 वर्ष
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के ग्राम ब्रम्हस्थान निवासी मुकेश कुमार उमर और मऊ जिले के ग्राम बनियापार में रहने वाली रीता सिंह ने याचिका दायर कर कहा था कि मप्र पीएससी ने प्रदेशभर के सरकारी कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। इसमें मप्र के अलावा अन्य राज्यों के उम्मीदवारों के लिए आयुसीमा 28 और मप्र के मूल निवासियों के लिए 40 वर्ष रखी गई। इसे याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता ब्रह्मेन्द्र प्रसाद पाठक ने असंवैधानिक और समानता के मूल अधिकार का हनन बताते हुए इसे अवैध घोषित करने की मांग की। पीएससी की ओर से असिसटेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए 15 मार्च से प्रक्रिया का प्रस्ताव है।
MP High Court ने राज्य सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों को याचिका पर दिया ये बड़ा फैसला
शर्त संशोधित करने का निर्देश
कोर्ट में राज्य सरकार और पीएससी की ओर से बताया गया कि अधिकतम आयुसीमा 28 वर्ष ही है, किंतु प्रदेश के विकास और बेरोजगारी के उन्मूलन के लिए मप्र के मूल निवासियों को 12 वर्ष की छूट विशेष रूप से दी जा रही है। कोर्ट ने इसे मानने से इनकार करते हुए कहा, ऐसी कोई भी छूट संवैधानिक नहीं हो सकती। कोर्ट ने विज्ञापन में प्रकाशित अधिकतम आयुसीमा की शर्त को संशोधित कर प्रदेश के उम्मीदवारों के लिए भी इसे 28 वर्ष करने के निर्देश देकर याचिका का पटाक्षेप कर दिया। सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित सेठ और मप्रपीएससी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह और अधिवक्ता मानस मणि वर्मा उपस्थित हुए।