डेंगू के कहर पर मुख्य न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता सौरभ नाटी शर्मा निवासी रसल चौक के अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि नगर निगम की ओर से महज खानापूर्ति की जा रही है। निगम प्रशासन केवल कूलर हटवाकर अपने कार्य की इतिश्री कर ली, जबकि शहर में साफ-सफाई की हालत चिंताजनक है। यही वजह है कि शहर में डेंगू का कहर बढा। बता दें कि कोर्ट ने सितंबर में डेंगू की रोकथाम के लिए उठाए गए कदम की ग्राउंड रिपोर्ट मांगी थी। किन स्वास्थ्य अधिकारी सहित व अन्य केवल मौखिक रूप से अब तक उठाए कदमों का ब्यौरा पेश करके औपचारिकता पूरी कर ली।
अधिवक्ता संघी ने कोर्ट को अवगत कराया कि यह जनहित याचिका वर्ष 2018 में दायर की गई थी। उस समय भी डेंगू का कहर था। शहर में साफ-सफाई नहीं होने से डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी फैल रही थी। एक बार फिर शहर में जगह-जगह गदंगी का ढेर होने से मच्छर पनप रहे हैं जिसके चलते जबलपुर फिर से डेंगू की गिरफ्त में है। उन्होंने कहा कि हाल ये है कि नगर निगम के भंवरताल पार्क में स्थित स्वीमिंग पूल में कई महीने से पानी भरा है, जिसमें डेंगू के मच्छर पनप रहे हैं। शहर में जगह-जगह गड्ढों में पानी भरा हुआ है, जिससे लोग डेंगू के शिकार हो रहे हैं। नगर निगम की ओर से एक हजार पेज की रिपोर्ट पेश की गई, जो महज कागजी खेल से अधिक कुछ भी नहीं है। इस पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने डेंगू की रोकथाम के लिए नगर निगम, जबलपुर से डेंगू पर रोकथाम की कार्ययोजना तलब की है।