ये है मामला
याचिका दायर करने वाले जबलपुर के डॉ. पीजी नाजपांडे ने बताया कि 1997 में सरकार ने जनता की ओर से महापौर का चुनाव कराने का निर्णय किया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज करते हुए 10 दिसम्बर 1997 को प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली को सही माना था। लेकिन, उनकी जनहित याचिका में इस बार अप्रत्यक्ष चुनाव को दी गई चुनौती को मान्य नहीं किया गया। 27 नवम्बर 2019 को कोर्ट ने अप्रत्यक्ष प्रणाली से होने वाले नुकसान की ओर ध्यान न देकर जनहित याचिका निरस्त कर दी। इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर भी 10 जनवरी 2020 को कोर्ट ने अपने पूर्व निर्णय को सही ठहराया। आम नागरिक मित्र फाउंडेशन के डॉ. नाजपांडे, रजत भार्गव, डीआर लखेरा ने बताया कि हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।