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जबलपुर

प्रदेश के ये 22 निजी विश्वविद्यालय नहीं दे पाएंगे बीएड-डीएड में प्रवेश, इस नियम का करना होगा पालन

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश

जबलपुरSep 15, 2019 / 07:03 pm

reetesh pyasi

Court Order

कोर्ट ऑर्डर

जबलपुर। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आरएस झा व जस्टिस विशाल धगट की युगलपीठ ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए राज्य के 22 निजी स्वशासी विश्वविद्यालयों में मध्यप्रदेश शासन की ओर से स्वीकृत एमपी ऑनलाइन की केंद्रीयकृत काउंसिलिंग के बिना बीएड-डीएड कोर्स में प्रवेश वर्जित कर दिया है।
प्रदेश के ये निजी विवि शामिल
मामला नर्मदा शिक्षा महाविद्यालय, जबलपुर की याचिका से सम्बंधित है। इससे पूर्व कोर्ट ने बालाघाट के सरदार पटेल, छतरपुर के श्रीकृष्ण, सागर के विवेकानंद व सतना के एकेएस नामक चार निजी स्वशासी विश्वविद्यालयों को इस शर्त के दायरे में रखा था। इस कड़ी में अन्य विश्वविद्यालयों को जोड़कर अब शर्त के दायरे में आने वाले कुल निजी विश्वविद्यालयों की संख्या 22 कर दी गई है। इनमें इंदौर से ओरियंटल, श्री वैष्णव विद्यापीठ, मेडिकेप व मालवांचल, भोपाल से संजीव अग्रवाल ग्लोबल एजुकेशन, पीपुल्स, आरकेडीएफ, जागरण लेक सिटी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, एलएनसीटी, ईएस, वीआईटी, मध्यांचल प्रोफेशनल, मानसरोबर ग्लोबल, रायसेन से सेम ग्लेबमल, रवींद्रनाथ टैगोर, जबलपुर से मंगलायतन और छिंदवाड़ा से जीएच राय सोनी विश्वविद्यालय शामिल किए गए हैं।
हाईकोर्ट ने अपनाया सख्त रुख
अधिवक्ता मुकुंददास माहेश्वरी ने अवगत कराया कि इससे पूर्व हाईकोर्ट ने डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर की ओर से केंद्रीयकृत काउंसिलिंग की शर्त पूरी न किए जाने के रवैये को आड़े हाथों लेकर 2000 अनुचित प्रवेश निरस्त कर दिए थे। इसके बाद कोर्ट का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया गया कि निजी विश्वविद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का लोभ देकर, कमीशन पर हर जिले में काउंसलर रखकर, कॉलेज कोड-28 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए, बिना इंट्रेंस एग्जाम के मनमाने तरीके से प्रवेश दे रहे हैं। इस फर्जीवाड़े पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया।
1500 अनुचित दाखिलें होंगे प्रभावित
लिहाजा, हाईकोर्ट के नए आदेश से बीएड के तीन हजार और डीएड के 1500 अनुचित दाखिले प्रभावित होंगे। दरअसल, हाईकोर्ट की मंशा यही है कि समूचे प्रदेश में एकरूपता और गुणवत्ता के जरिए बीएड-डीएड में दाखिले सुनिश्चित किए जाएं। इसके लिए एमपी ऑनलाइन के जरिए केंद्रीयकृत काउंसिलिंग अनिवार्य है। इस प्रक्रिया में च्वाइस फिलिंग के प्रावधान का भी पालन होना चाहिए।
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