हाईकोर्ट ने याचिकाएं खारिज कीं
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि पारस्परिक वरीयता प्रशिक्षण पर उपस्थित होने की तारीख से निर्धारित होती है। चयन सूची के आधार पर इसे तय नहीं किया जा सकता है। जस्टिस वंदना कसरेकर की बेंच ने इस अभिमत के साथ वरीयता निर्धारण के संबंध में सरकार द्वारा जारी आदेश को सही करार दिया। कोर्ट ने सहायक वन संरक्षकों की ओर से इस आदेश को दी गई चुनौती खारिज कर दी।
यह है मामला- राज्य सरकार के आदेश को दी गई थी चुनौती
आदर्श श्रीवास्तव सहित अन्य की ओर से दायर याचिका में मध्यप्रदेश सरकार के 17 सितम्बर 2014 को पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। इसमें सहायक वन संरक्षकों की पारस्परिक वरीयता (इंटर सीनियारिटी) तय की गई। याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट के 29 नवंबर 2012 को जारी आदेश की उचित व्याख्या न करते हुए शासन ने गलत आदेश जारी कर दिया। जबकि सरकार की ओर से अधिवक्ता जान्हवी पंडित ने कहा कि पूर्व आदेश का शब्दश: पालन किया गया।
सहायक वन संरक्षकों को झटका, चयन सूची की तारीख से नहीं मिलेगी वरिष्ठता
कोर्ट ने तर्क स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट के 29 नवंबर 2012 को दिए गए आदेश को चुनौती नहीं दी । इसलिए उक्त आदेश ही अंतिम व मान्य होगा। इसके परिपालन में ही शासन ने 17 सितम्बर 2014 को आदेश पारित किया है। कोर्ट ने याचिका निरस्त कर दी ।