खाद्य विभाग के संचालक ने लिखा पत्र, फिर गठित होगा जांच दल
जिले में तहसीलदारों ने धान पंजीकृत किसानों के रकबे का सत्यापन किया था। यह प्रक्रिया खरीदी से पहले पूरी हो गई थी। जब खरीदी प्रारंभ हो गई, उसी समय खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण ने पत्र भेजकर प्रशासन को अवगत कराया कि रकबे का सत्यापन एवं परीक्षण सेटेलाइट इमेज के आधार पर किया गया है। इसमें सामने आया था कि कई खसरे अकृषि योग्य हैं यानी इनमें घर, सडक़ व दूसरी चीेजें हैं।
इसी प्रकार कुछ खसरे ऐसे नजर आए जिनमें धान के अलावा दूसरी फसलें लगी थीं। फिर भी उन खसरों पर धान का पंजीयन कर लिया गया। गड़बड़ी की आशंका को ध्यान में हुए इनका पुर्नसत्यापन करने के लिए कहा गया था। इस बीच जिले के सभी तहसीलदारों ने अपनी रिपोर्ट बनाई और उसे अपनी लॉगिन से सबमिट कर दिया। जब रिपोर्ट का आकलन किया तो इसमें कमियां नजर आईं। एक पत्र भेजकर एक जांच दल का गठन कर फिर से जांच के लिए कहा गया है।
15 हजार से ज्यादा खसरे थे शामिल
शुरूआत में 30 हजार खसरों में गड़बड़ी सामने आई थी। फिर 3 हजार 90 खसरे अकृषि योग्य और 11 हजार 300 खसरे धान के अलावा दूसरी फसलें लगी होने वाले शामिल किए गए। इतने खसरों का पुर्नसत्यापन कर रिपोर्ट सौंपी जानी थी। इस बीच जिले के तहसीलदारों की लॉगिन से अकृषि योग्य भूमि के 14 सौ से अधिक एवं दूसरी फसलों वाले 11 हजार 250 से ज्यादा खसरों का सत्यापन कर दिया गया। विभाग ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि राज्य स्तर पर जो रेंडम जांच कराई गई है, उसमें सेटेलाइट इमेज में जो स्थिति मिली थी, वह 80 प्रतिशत सही थी। इसलिए फिर से जांच कराई जाए।
जिनका धान बिका, उनकी जांच
सूत्रों ने बताया कि अब विभाग उन किसानों के खसरों की मौके पर सत्यापन जांच कराएगा, जिनका धान समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्रों पर खरीदा जा चुका है। यदि उन खसरों पर धान पाया जाता है, तो उसका सत्यापन अब तहसीलदार नहीं, कलेक्टर की लॉगिन से कराया जाएगा। इसमें जो किसान पात्र मिलेंगे उनका धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा। पुनरसत्यापन की प्रक्रिया के उन किसानों की धान खरीदी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई, जिनके खसरे इस जांच में शामिल किए गए हैं।