आवश्यक होने पर कारण लिखकर हो गिरफ्तारी: सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में अर्नेश कुमार के मामले में नागरिकों की गिरफ्तारी को लेकर दिशा निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने कहा था कि 7 वर्ष से कम सजा वाले अपराधों में आरोपियों की गिरफ्तारी करते समय पुलिस को संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। बहुत आवश्यक होने पर ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। ऐसी दशा में भी पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार करने का कारण लिखना चाहिए। देखा गया है कि संवेदनशीलता के अभाव में पुलिस सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं करती है।
एसपी स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण
अकादमी से प्राप्त जानकारी के अनुसार 25 मई से 1 जून के बीच 11 विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों की श्रंखला का आयोजन किया जाएगा। 50 जिलों 5 समूहों में बांटकर प्रत्येक समूह के लिए 22 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। न्यायिक मजिस्ट्रेट व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारियों के लिए कार्यक्रम ऑनलाइन आयोजित होंगे। पहला कार्यक्रम 25 मई को आयोजित होगा। जिसे अकादमी के चेयरमैन व उच्च न्यायालय के प्रशासनिक न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव संबोधित करेंगे।
गिरफ्तारी अपराध के अन्वेषण से जुड़ी कार्यवाही है। इसका आशय दंड से नहीं लेना चाहिए। न्यायालयीन प्रक्रिया के बाद अदालत अपराधी को दंड देती है। इसलिए किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी के पूर्व सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन किया जाना आवश्यक है। पुलिस अधिकारियों व मजिस्ट्रेटों के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर यह प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
रामकुमार चौबे, डायरेक्टर, मध्य प्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी