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जबलपुर

नर्मदा के चिंतक: पांच युवकों की जिद, 7 साल में निकाला 700 टन कचरा

नर्मदा के चिंतक: पांच युवकों की जिद, 7 साल में निकाला 700 टन कचरा

जबलपुरNov 28, 2021 / 11:38 am

Lalit kostha

story of clean narmada

story of clean narmada

लाली कोष्टा@जबलपुर। वे बचपन से ही मां नर्मदा के तट पर जाते हैं। हिलोरे मारती लहरों से उनका पुराना है रिश्ता। जैसे-जैसे बड़े हुए तो नर्मदा का निर्मल नीर, नाले-सा प्रतीत होने लगा। आसपास देखा तो पाया कि आस्था में डूबे लोग ही इसे पवित्र नर्मदा से नाला बनाने पर तुले हैं। जो अपने घरों से लाकर गंदगी नर्मदा में प्रवाहित कर रहे हैं। केमिकल युक्त साबुन शैम्पू से अमृत रूपी जल को जहर बना रहे हैं। तब नर्मदा तट पर एक संकल्प लिया और उसकी सेवा में खुद को समर्पित कर दिया। हम बात कर रहे हैं ओंकारश्वर घाट के रंजीत वर्मा और उनके साथियों की। जिन्होंने मां नर्मदा को निर्मल व स्वच्छ रखने के लिए जीवन समर्पित कर दिया है।

ओंकारेश्वर के तट पर रंजीत वर्मा ने अपने दोस्तों के साथ चला रखा है नर्मदा स्वच्छता अभियान

 

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2013 में गंदगी देखकर मन हुआ खिन्न, वहीं संकल्प किया
रंजीत वर्मा ने बताया कि साल 2013 में एक दिन नर्मदा के ओंकारेश्वर घाट पर वे अपने दोस्त राहुल, रवि, सुमित, ऋषि के साथ दर्शन करने पहुंचे थे। जहां घाट पर अथाह गंदगी, सड़ांध मारती पूजन सामग्री और साबुन आदि के चलते सैकड़ों मछलियों समेत जलीय जीव मरे पड़े थे तो कुछ तड़प रहे थे। यह देखकर मन दुखी हो गया कि जो नर्मदा दूसरों को जीवन देती है उसका ही अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। तब हम दोस्तों ने उन्हें स्वच्छ और निर्मल बनाने का संकल्प किया ओर तत्काल सेवा में जुट गए।

 

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10-12 क्विंटल कचरा हर हफ्ता निकाला जाता है
ओंकारेश्वर से इन लोगों ने साप्ताहिक नर्मदा सेवा की शुरुआत की। इसमें 10-12 क्विंटल कचरा हर हफ्ता निकाला जाता है। वहीं तीज त्योहारों व विशेष अवसरों में 25 क्विंटल तक कचरा लोग नर्मदा में प्रवाहित कर जाते हैं जिसे रंजीत व दूसरे युवा ही निकालते हैं। पिछले 7 साल में ये 700 टन से ज्यादा कचरा निकाल चुके हैं। इसके अलावा आटे से बने दिया को प्रमोट कर रहे हैं ताकि प्रदूषण से रोका जा सके। पर्वों में नि:शुल्क दीये देकर उन्हें जागरूक करते हैं। प्रतिदिन नर्मदा आरती में संकल्प दिलाते हैं। महेश्वर, खलघाट, तेली भट्यान साथ में आसपास के गांवों में जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। अभियान का खर्च भी से स्वयं पैसा जोडकऱ उठाते हैं।

 

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समिति बनाई तो और लोग जुड़ते गए
रंजीत वर्मा ने बताया कि अभियान में हमारे काम को देखकर स्वयं जुड़ते गए तब हमने साल 18 जुलाई 2016 में मां नर्मदा स्वच्छता, शिक्षण एवं स्वास्थ्य सेवा समिति बनाई। जिसमें अब 40 सदस्य हो गए हैं, जो हर सप्ताह हमारे साथ नर्मदा की सेवा करने घाट पर पहुंचते हैं। समिति के नाम से हम लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हैं, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए लोगों की यथासंभव मदद भी करते हैं। घाट पर होने वाली महाआरती के माध्यम से अब तक लाखों लोगों को निर्मल नर्मदा का संकल्प करा चुके हैं।

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