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बदल गई सरकार पर नहीं मिला कारोबार, अब फिर आंदोलन की राह पर बेरोजगार

locationजबलपुरPublished: Sep 16, 2020 09:40:19 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-साल भर से तनाव में जी रहे हैं नौजवान-एक साल पहले पूरे प्रदेश में किया था प्रदर्शन-कमलनाथ सरकार ने दिया था आश्वासन

आंदोलित वेटनरी डॉक्टर्स (फाइल फोटो)

आंदोलित वेटनरी डॉक्टर्स (फाइल फोटो)

जबलपुर. सूबे के इन नौजवानों के सपनों पर मानों ग्रहण लग गया है। साल भर बीत गए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अलबत्ता सरकार जरूर बदल गई। तब विपक्ष में रहे लोग सत्ता में आ गए पर नौजवानों के मुद्दे जहां के तहां हैं। अब एक बार इन नौजवानों ने प्रदेश व्यापी आंदोलन का मन बनाया है। तैयारी है फिर से एक बार सड़क पर उतर कर सरकार से दो-दो हाथ करने की।
स्मरण हो कि इसी सितंबर महीने में 2019 में प्रदेश के युवा सड़कों पर थे। इनकी मांग कुछ और नहीं बल्कि रोजगार रही। काम के लिए इन्होंने जबलपुर से भोपाल तक धरना-प्रदर्शऩ किया , तकरीबन 20 दिनों की भूख हड़ताल भी की। नौजवानों का प्रदर्शन तत्कालीन सरकार के आश्वासन पर खत्म हुआ। लेकिन तब इन नौजवानों को क्या पता था कि काम देने का वादा करने वाली सरकार ही चली जाएगी। लेकिन इनका सवाल है कि तब जो लोग बेरोजगारी के मुद्दे पर साथ खड़े नजर आ रहे थे वो अब सत्ता में आने के बाद सब कुछ भूल गए। ऐसे में नौजवानों ने तय किया है कि एक बार फिर से सड़क पर उतर कर सत्ता और विपक्ष दोनों को उऩकी बातें याद दिलाई जाएंगी। उनका कहना है कि अब काम लेकर ही दम लेंगे।
ये नौजवान और कोई नहीं बल्कि नानाजी देशमुख वेटरनरी विश्वविद्यालय के स्नातक हैं। इन्होंने सूबे के रिक्त 1200 वेटनरी डॉक्टर के पद पर नौकरी के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। इन नौजवानों ने पशुपालन विभाग में वेटनरी डॉक्टर बनने का सपना देखा था जो पूरा न हो सका। ये लगातार जबलपुर से भोपाल का चक्कर लगा रहे हैं।
यहां यह भी बता दें कि प्रदेश पशु चिकित्सकों की कमी भी झेल रहा है। इस राज्य में पशुओं की तादाद अन्य प्रदेशों की तुलना में कहीं ज्यादा है, जबकि उसके सापेक्ष पशु चिकित्सक नहीं हैं। ये प्रदेश दुग्ध उत्पादन के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है। ऐसे में अगर पर्याप्त पशु चिकित्सक हों तो पशुओं को निरोग रखते हुए दुग्ध उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता है। वर्तमान में प्रदेश में 7 हजार पशु चिकित्सकों की जरूरत है इसके सापेक्ष 1600 पशु चिकित्सक हैं। नए डॉक्टर्स की भर्ती के लिए वेटरनरी स्नातक ही नहीं, बल्कि भारतीय पशु चिकित्सा संघ ने भी इस मांग को सरकार के समक्ष रखा था। लेकिन उस पर कोई चर्चा तक नहीं हुई।
यह कम रोचक नहीं है, जिस प्रदेश में पहले से ही पशु चिकित्सकों की कमी है, नए चिकित्सकों की भर्ती हो नहीं रही है, उस प्रदेश में करीब 3000 नई गोशाला खोलने की तैयारी चल रही है। ऐसे में नौजवानों को एक उम्मीद की किरण दिखनी शुरू हुई कि नई गोशाला खुलेगी तो डॉक्टरों की जरूरत तो पड़ेगी ही। लिहाजा सरकार को उसके वादों की याद दिलाने के लिए इससे बेहतर वक्त नहीं होगा। ऐसे में उन्होंने आंदोलन की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
ये हैं पशुपालन विभाग से जुड़े कुछ जरूरी आंकड़े

-प्रदेश में पशु चिकित्सकों के 3481 पद सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी का इंतजार
-7000 पदों के स्थान पर सिर्फ 1600 ही उपलब्ध हैं। 5 वर्षों से भर्ती नहीं
-.प्रदेश में 1200 से अधिक पशु चिकित्सक बेरोजगार घूम रहे हैं।
-एक हजार गोशालाओं का निर्माण हो चुका है। इलाज के लिए डॉक्टर ही नहीं।
-3,000 गोशालाओं का निर्माण प्रदेश में कराने का लक्ष्य। बिना वेटरनरी डॉक्टर के पूरा नहीं।
-वेटरनरी डॉक्टर्स नहीं होने से केंद्र सरकार के राष्ट्रीय रोग उन्मूलन कार्यक्रमों की हालात खराब।
“प्रदेश में 7 हजार में सिर्फ 16 सौ पद हैं। 12 सौ वेटरनरी स्नातक बेरोजगार हैं। पीएससी में 5 साल से वेटरनरी डॉक्टर की भर्ती नहीं निकली है। 3481 वेटरनरी डॉक्टर के पद सृजन करने का प्रस्ताव है, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है।”-नरेंद्र सिंह तोमर, उपाध्यक्ष, भारतीय पशु चिकित्सा संघ, मध्यप्रदेश

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