मुखरता से रखी बात
जन एजेंडा 2018 के अंतर्गत पाटन विधानसभा में हुए कार्यक्रम में मतदाताओं ने अपने क्षेत्र की समस्याओं को पत्रिका के साथ साझा किया। इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने बेबाकी से अपनी राय सामने रखी। मतदाताओं ने यहां रोजगार, उद्योग, स्वास्थ्य-शिक्षा आदि मूलभूत सुविधाओं पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में एक बात बिल्कुल साफ हो गई कि ज्यादातर मतदाताओं को इस चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी पर ही भरोसा है। यहां आए लोगों ने साफ शब्दों में कहा कि हम बाहरी प्रत्याशी स्वीकार नही करेंगे। मतदाताओं ने कहा कि स्थानीय प्रत्याशी ही हमारी समस्याओं को बेहतर तरीके से उठा सकता है।
जन एजेंडा 2018 के अंतर्गत पाटन विधानसभा में हुए कार्यक्रम में मतदाताओं ने अपने क्षेत्र की समस्याओं को पत्रिका के साथ साझा किया। इस कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने बेबाकी से अपनी राय सामने रखी। मतदाताओं ने यहां रोजगार, उद्योग, स्वास्थ्य-शिक्षा आदि मूलभूत सुविधाओं पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में एक बात बिल्कुल साफ हो गई कि ज्यादातर मतदाताओं को इस चुनाव में स्थानीय प्रत्याशी पर ही भरोसा है। यहां आए लोगों ने साफ शब्दों में कहा कि हम बाहरी प्रत्याशी स्वीकार नही करेंगे। मतदाताओं ने कहा कि स्थानीय प्रत्याशी ही हमारी समस्याओं को बेहतर तरीके से उठा सकता है।
पूरे नहीं हुए वादे
कार्यक्रम में अशोक पटेल व राकेश सिंह ने कहा कि पिछली बार हमने जिस उम्मीद से प्रत्याशी को चुना था, वह पूरी नहीं हुई। गांवों में अब भी वही हालात हैं, जो दस साल पहले थे। किसानों को अपनी उपज का दाम तक सही समय पर नहीं मिल पा रहा है। इसमें कमीशनखोरी हावी है। कृषि उपकरणों में विशेष छूट नहीं मिल रही है, वहीं कीटनाशक दवाएं और खाद-बीज इतने महंगे हैं कि इससे खेती की लागत बढ़ रही है। सहकारी समितियों के माध्यम से मिलने वाले खाद-बीज में जमकर कमीशनखोरी हो रही है। भाई भतीजावाद हावी है। बैठक में आनंद मोहन पलहा, शैलेश दुबे, मनमोहन पटेल समेत अन्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में अशोक पटेल व राकेश सिंह ने कहा कि पिछली बार हमने जिस उम्मीद से प्रत्याशी को चुना था, वह पूरी नहीं हुई। गांवों में अब भी वही हालात हैं, जो दस साल पहले थे। किसानों को अपनी उपज का दाम तक सही समय पर नहीं मिल पा रहा है। इसमें कमीशनखोरी हावी है। कृषि उपकरणों में विशेष छूट नहीं मिल रही है, वहीं कीटनाशक दवाएं और खाद-बीज इतने महंगे हैं कि इससे खेती की लागत बढ़ रही है। सहकारी समितियों के माध्यम से मिलने वाले खाद-बीज में जमकर कमीशनखोरी हो रही है। भाई भतीजावाद हावी है। बैठक में आनंद मोहन पलहा, शैलेश दुबे, मनमोहन पटेल समेत अन्य नागरिक उपस्थित रहे।
सरकारी नीतियों पर असंतोष
प्रदेश के ये चुनाव अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनावों की दशा-दिशा भी तय कर सकते हैं इसलिए भाजपा-कांग्रेस हर पहलू पर गहराई से फोकस कर रहे हैं। हालांकि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए प्रमुख मुद्दे क्या होंगे, यह अभी तक साफ नहीं हो सका है। विपक्षी जहां प्रदेश में किसानों की कथित नाराजगी को मुद्दे के रूप में उठाने और इसे भुनाने की मंशा जता रहा है वहीं अवैध रेत उत्खनन, एससी, एसटी एक्ट पर भाजपा नेताओं की कथित भडक़ीली बयानबाजी भी प्रमुख मसले के रूप में उभर रहे हैं। चुनावों के पहले राजनैतिक दलों से इतर आमजनों से उनकी समस्याओं-दिक्कतों-अपेक्षाओं के बारे में बात करने की पत्रिका ने पहले की है। जन एजेंडा 2018 के अंतर्गत आयोजित हो रहे पत्रिका के इस कार्यक्रम में आम मतदाताओं मुखरता से अपनी आवाज बुलंद कर रहा है।
प्रदेश के ये चुनाव अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनावों की दशा-दिशा भी तय कर सकते हैं इसलिए भाजपा-कांग्रेस हर पहलू पर गहराई से फोकस कर रहे हैं। हालांकि मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए प्रमुख मुद्दे क्या होंगे, यह अभी तक साफ नहीं हो सका है। विपक्षी जहां प्रदेश में किसानों की कथित नाराजगी को मुद्दे के रूप में उठाने और इसे भुनाने की मंशा जता रहा है वहीं अवैध रेत उत्खनन, एससी, एसटी एक्ट पर भाजपा नेताओं की कथित भडक़ीली बयानबाजी भी प्रमुख मसले के रूप में उभर रहे हैं। चुनावों के पहले राजनैतिक दलों से इतर आमजनों से उनकी समस्याओं-दिक्कतों-अपेक्षाओं के बारे में बात करने की पत्रिका ने पहले की है। जन एजेंडा 2018 के अंतर्गत आयोजित हो रहे पत्रिका के इस कार्यक्रम में आम मतदाताओं मुखरता से अपनी आवाज बुलंद कर रहा है।