ऐसे हैं ठेके कर्मी
पूर्व क्षेत्र कम्पनी ने सब-स्टेशनों की ऑपरेटिंग के लिए करीब 6500 ठेका कर्मी रखे हैं। इनमें आधे कर्मचारी सब-स्टेशनों और शेष कार्यालयों और कैश काउंटरों पर लगाए हैं। कम्पनी ने इसके लिए लगभग 110 छोटे-बड़े ठेकेदारों से अनुबंध किए हैं।
जांच में पाया गया
मप्र यूनाइटेड फोरम की ओर से की गई शिकायतों के बाद ऊर्जा विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह ने जांच के निर्देश दिए थे। पूर्व क्षेत्र कंपनी में सीजीएम एचआर ने अब तक 18 सब-स्टेशनों की जांच में ४ में गड़बडिय़ां पायीं।
ऐसी गड़बड़ी मिलीं
-सब-स्टेशन के ऑपरेटरों को कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार 8073 रुपए का मानदेय और 1500 रुपए ईपीएफ जमा होना था, लेकिन ठेकेदारों की ओर से ऑपरेटरों को महज पांच हजार रुपए का भुगतान देना पाया गया।
-ऑपरेटरों को चेक से भुगतान किया गया, लेकिन ठेकेदार 15 से दो हजार पहले ले लेता है।
-कागजों में कर्मचारी को आईटीआई प्रशिक्षित दर्शाया गया, जबकि मौके पर अनटे्रंड कर्मचारी मिले।
-45 प्रतिशत ऑपरेटरों का ईपीएफ जमा नहीं मिला।
-अधिकतर ऑपरेटरों का एटीएम ठेकेदार के पास ही रहता है, जो भुगतान के बाद राशि निकाल लेता है।
आरटीआई से मिली जानकारी
प्रदेश की तीनों वितरण कम्पनियों में 2800 ठेका कर्मियों का वेतन निकल रहा है, जबकि मौके पर कहीं दो तो कहीं तीन लोग ही हैं। फोरम ने आरटीआई से मिली जानकारी के साथ शिकायत की थी।
वीकेएस परिहार, प्रदेश संयोजक, मप्र यूनाटेड फोरम
ठेकेदारों का भुगतान रोका गया
पूर्व क्षेत्र कंपनी के सीजीएम एचआर एबी सिंह के अनुसार अपर प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग के निर्देशों के बाद कम्पनी क्षेत्र में ठेका कर्मियों की जांच करायी जा रही है। कुछ सब-स्टेशनों पर अनियमितताएं मिली हैं। ठेकेदारों का भुगतान भी रोका गया है।
हो रहे हैं हादसे
तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय संगठन सचिव हरेंद्र श्रीवास्तव के अनुसार ठेकेदार आईटीआई के नाम पर अनटे्रंड लोगों से काम ले रही है। सब-स्टेशनों की मशीनरी खराब होने से लेकर ब्रेक डाउन व शट-डाउन में भी बिजली चालू रहने से हादसे तक हो रहे हैं।