दरअसल, मप्र में सागौन के वन क्षेत्र प्रतिशत के सम्बंध में पीएससी में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर को लेकर विरोधाभास है। अभिजीत चौधरी समेत आठ उम्मीदवारों ने इसे याचिका के माध्यम से चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार मप्र में 29.54 प्रतिशत सागौन आच्छादित जंगल है।
मध्यप्रदेश सरकार ने यह आंकड़ा 19.36 बताया है। पीएससी उम्मीदवारों ने केंद्र सरकार की रिपोर्ट को आधार मानकर उत्तर दिया है, जबकि पीएससी राज्य सरकार की रिपोर्ट को आधार मान रही है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को 2019-20 में प्रदेश में हुए जियो सेटेलाइट सर्वे की रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए, ताकि ये पता लगाया जा सके कि कितने प्रतिशत जंगल में सागौन लगा है। कोर्ट ने मप्र लोक सेवा आयोग के विशेषज्ञ और लीगल एडवाइजर को यह बताने कहा था कि सागौन वन क्षेत्र का प्रतिशत में केंद्र या राज्य सरकार में से किसकी सूची को तरजीह दी जाए।
मप्र में सागौन के वन क्षेत्र प्रतिशत के सम्बंध में पीएससी में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर को लेकर विरोधाभास है दरअसल जहां केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से जारी इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार मप्र में 29.54 प्रतिशत सागौन आच्छादित जंगल है। वहीं मध्यप्रदेश सरकार ने यह आंकड़ा 19.36 बताया है। ऐसे में जहां पीएससी के परीक्षार्थियों ने केंद्र के आंकड़ों को सही माना है, वहीं पीएससी राज्य सरकार के आंकड़ों को सही मान रही थी। ऐसे में परीक्षार्थियों के उत्तर भी अलग अलग रहे हैं।