प्रोजेक्ट के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से ध्यान और प्राणायम कराया जाएगा। यह प्रक्रिया गर्भधारण से लेकर प्रसव और उसके बाद कुछ माह बाद तक अपनाई जाएगी। विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम योग के डिलेवरी पर प्रभाव का अध्ययन करेगी। बेहतर नतीजे मिलने पर नॉर्मल डिलवेरी के लिए चिकित्सक ध्यान एवं योग को भी हिस्सा बना सकेंगे। डॉक्टरों के अनुसार प्रसव के दौरान महिला मानसिक तनाव में होती है। प्राणायाम और मेडिटेशन से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे प्रसव के साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे की ग्रोथ पर भी सकारात्मक प्रभाव होता है।
पायलेट प्रोजेक्ट
विवि ने ‘इम्पैक्ट ऑफ गर्भ संस्कार एंड लाइफ स्टाइल मॉडिफिकेशन ऑफ मेटेनरल एंड पेरेंटल आउट कम’ को लेकर पायलेट प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसके लिए नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के गायनिक विभाग को केंद्र बनाया गया है। यहां 50 से अधिक गर्भवती महिलाओं को गर्भधारण करने के साथ ही प्रसव के बाद कुछ समय तक ध्यान, योग-आसन के साथ ही सूर्योदय से पूर्व उठने, रात में सोने तक अलग-अलग क्रियाओं को लेकर आदर्श दिनचर्या तैयार की गई है। इसकी पंजीकृत गर्भवतियों को पालना कराई जाएगी। प्रत्येक माह उनके स्वास्थ्य की जांच के साथ प्रसव के वक्त और उसके बाद बच्चे के स्वास्थ्य एवं मानसिक स्थिति का अध्ययन किया जाएगा।
इस सम्बंध में मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आरएस शर्मा का कहना है कि राज्यपाल की मंशा के अनुसार गर्भ संस्कार प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य बच्चे को बेहतर संस्कार और सामान्य प्रसव है। ध्यान और योग का स्वास्थ्य और मानस पर सकारात्मक प्रभाव होता है।