जबलपुर

Good News : एसयू कॉलेजों में क्लास से नदारद प्रोफेसर्स पर लगेगा तीन साल का बैन

आयुर्वेद, सिद्धा और यूनानी (एएसयू) कॉलेजों में गड़बड़ी की शिकायत के बाद सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) का निर्णय।

जबलपुरDec 28, 2019 / 06:24 pm

praveen chaturvedi

Medical Science University

जबलपुर। आयुर्वेद, सिद्धा और यूनानी (एएसयू) कॉलेजों में प्रोफेसरों के फर्जीवाड़े पर सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने शिकंजा कस दिया है। सीसीआईएम को कॉलेजों में शिक्षकों के क्लास से अनुपस्थित रहने की शिकायतें मिल रही हैं। इससे परेशान काउंसिल ने अब क्लास से गायब रहने वाले दस्तावेजों में दर्ज शिक्षकों की खोजबीन शुरू कर दी है। समस्त कॉलेजों को चेतावनी जारी की गई है कि काउंसिल को प्रोफेसरों के सम्बंध में भेजी गई जानकारी में गड़बड़ी मिलने पर कार्रवाई होगी। फर्जीवाड़े में दोषी पाए जाने वाले प्रोफेसरों के पढ़ाने पर तीन वर्ष का प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया गया है।

आधे से ज्यादा के पंजीयन नहीं
सीसीआईएम के शिक्षकों पंजीयन सम्बंधी आदेश ने भी कॉलेजों की समस्या बढ़ा दी है। काउंसिल ने प्रत्येक चिकित्सा शिक्षक का सम्बंधित स्टेट बोर्ड में पंजीयन आवश्यक कर दिया है। बताया जा रहा है कि कॉलेजों में पढ़ाने वाले आधे से ज्यादा प्राध्यापकों का स्टेट बोर्ड में पंजीयन नहीं है। इस सम्बंध में सीसीआईएम ने स्टेट बोर्ड व राज्य सरकारों को सख्त कार्रवाई करने का पत्र भेजा है। इससे मान्यता हासिल करने के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी करके प्राध्यापकों की संख्या प्रदर्शित करने वाले प्राइवेट कॉलेजों में हडक़म्प है।

तीन साल का रेकॉर्ड मांगा
सीसीआईएम ने छात्र-छात्राओं की शिकायत की पड़ताल के लिए सभी एएसयू कॉलेजों से तीन साल का रेकॉर्ड मांगा है। इसमें प्रोफेसरों का नाम, पता, विशेषज्ञता सहित शिक्षण कार्यों का विवरण शामिल है, जिससे पता लगाया जा सके कि प्रोफेसर नियमित तौर पर छात्रों को पढ़ा रहे हैं या महज खानापूर्ति हो रही है।

ज्यादातर एएसयू प्राध्यापकों ने सेंट्रल बोर्ड, नई दिल्ली से पंजीयन करा रखा है। वे अवैध नहीं हैं। सीसीआईएम ने स्टेट बोर्ड से पंजीयन और अन्य आदेश दिए हैं। इसका पालन किया जाएगा।
डॉ. राकेश पांडेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आयुष मेडिकल एसोसिएशन

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