याचिकाकर्ता गोटेगांव निवासी भुवनेश मुडिया की ओर से अधिवक्ता ब्रह्मानंद पांडेय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता के पास मुडिया जनजाति का प्रमाण पत्र था। एसडीओ गोटेगांव ने अधिकारिता न होते हुए भी वह प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया। इसी रवैए को याचिका के जरिए चुनौती दी गई है।
सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कराया गया कि रूपसिंह मुडिया, प्रदीप मुडिया, उत्तम मुडिया, भगवानदास मुडिया सहित 400 से अधिक मुडिया जनजाति के लोगों को फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने का दोषी पाया गया था, जिसके बाद उन्हें नौकरी से निकालने का आदेश जारी कर दिया गया। इस आदेश के खिलाफ मुडिया जनजाति के प्रभावित लोग हाईकोर्ट आ गए। उनकी याचिकाएं 2002 से लंबित हैं। हाईकोर्ट ने इस जानकारी पर गौर करने के बाद भुवनेश मुडिया के मामले की सुनवाई भी उन्हीं याचिकाओं के साथ चार अप्रैल को करने की व्यवस्था दे दी।