डॉक्टरों ने टीम ने किया पीएम
चम्बल सेंक्चुरी में 31 दिसम्बर से 4 जनवरी के बीच सात घडिय़ालों की मौत हुई है। सेंक्चुरी के अधिकारियों ने तीन जनवरी को वेटरनरी यूनिवर्सिटी में एक घडिय़ाल का पोस्टमार्टम कराया। स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ के डॉ. अमोल रोकड़े, डॉ. निधि राजपूत और पैथोलॉजिस्ट डॉ. मधु स्वामी ने पोस्टमार्टम किया। चार जनवरी को एक अन्य घडिय़ाल की मौत हो गई। जबलपुर के रिटायर्ड वेटरनरी एक्सपर्ट डॉ. एबी श्रीवास्तव सहित छह डॉक्टरों की टीम ने उसका पोस्टमार्टम किया।
पानी की जांच शुरू
उधर, चम्बल नदी के पानी, घडिय़ालों को खिलाई जाने वाली मछलियों और जहां पर मछली का पालन हुआ, वहां के पानी की भी जांच कराई जा रही है। जानकारों के अनुसार चम्बल नदी में फैक्ट्रियों का पानी जाने से प्रदूषण बढ़ रहा है। वर्ष 2017 तक सेंक्चुरी में 1255 घडिय़ाल थे।
2009 में भी हो चुकी है मौत
वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत घड्यिाल शेडï्यूल-1 का जलीय प्राणी है। वर्ष 2009 में भी लगभग 100 घडिय़ालों की मौत हुई थी। उनकी मौत का कारण जानने के लिए देश-विदेश से वैज्ञानिक बुलाए गए थे।
1978 में हुई सेंक्चुरी की स्थापना
चम्बल सेंक्चुरी के जलीय प्राणियों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश की सरकार कार्य कर रही हैं। मध्यप्रदेश शासन ने 1978 में नेशनल चम्बल सेंक्चुरी की स्थापना की। तीनों राज्यों की सीमा में 435 वर्ग किमी में लुप्तप्राय घडिय़ाल, डाल्फिन और दुर्लभ कछुए भी पाए जाते हैं।
जल्द आएगी रिपोर्ट
चम्बल सेंक्चुरी में सात घडिय़ालों की मौत हुई है। प्रदेश के वेटरनरी एक्सपर्ट मौत के कारणों की तलाश कर रहे हैं। पोस्टमार्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट जल्द ही आएगी।
टीडी ग्रेब्रियाल, डीएफओ, मुरैना
इन्हें जानकारी ही नहीं
जबलपुर और सागर से रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद चम्बल सेंक्चुरी में घडिय़ालों की मौत रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। घडिय़ालों की लगातार मौते होने के कारणों की जानकारी नहीं है।
दिलीप कुमार, एपीसीसीएफ, वन्य प्राणी