ज्योतिषाचार्य डॉ. अर्जुन पांडे ने बताया कि नाग पंचमी पर सापों को दूध पिलाने की परंपरा जरूर है, लेकिन वे दूध नहीं पीते हैं। उनकी आकृतियां या धातू से बने सर्प की पूजा का विधान है। इस नाग पंचमी में नाग पूजा का समय सुबह 5:43 बजे से सुबह 8:25 बजे तक विशेष रहेगा। हालांकि पूजन पूरे दिन किया जा सकता है। नाग पंचमी वाले दिन अनन्त, वासुकी, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट, शंख, कालिया और पिंगल नामक देव नागों की पूजा का विधान है। पूजा स्थल या घर के दरवाजे पर सांप की आठ आकृतियां बनाकर उनका पूजन किया जा सकता है। जीवित सांप को दूध पिलाने से जीव हत्या का पाप होता है। इसलिए हो सके तो केवल दर्शन करें।

काल सर्प दोष निवारण पूजन होगा
नाग पंचमी के दिन सुबह 7 बजे से तिलवाराघाट नर्मदा के दक्षिण तट स्थित मार्कण्डेय धाम में काल सर्पदोष निवारण सामूहिक पूजन आयोजित होगा। ज्योतिषाचार्य विचित्र महाराज के अनुसार इस धाम का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। शतायु संत स्व. दद्दा जी ने यहां काल सर्पदोष पूजन की शुरुआत की थी। जो कई दशकों से जारी है। नाग पंचमी पर पूजन करने से ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है। नागपंचमी पर वैदिक विधि विधान से पूजन करा जाएगा। सुबह से दोपहर तक सैकड़ों लोग यहां पूजन करने आएंगे।