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यज्ञशालाएं लेने लगीं आकार, जगमग होंगे ग्वारीघाट के सभी तट और मार्ग

locationजबलपुरPublished: Feb 11, 2020 06:22:25 pm

Submitted by:

Sanjay Umrey

नर्मदा गोकुम्भ की तैयारियां तेज, साधु-संतों के आवास स्थल के हो रहे निर्माण

नर्मदा गोकुम्भ की तैयारियां तेज, साधु-संतों के आवास स्थल के हो रहे निर्माण

नर्मदा गोकुम्भ की तैयारियां तेज, साधु-संतों के आवास स्थल के हो रहे निर्माण

जबलपुर। नर्मदा गोकुम्भ में कारीगरों के दल ने यज्ञशालाओं को आकार देना शुरू कर दिया है। पांच और दो मंजिला चार यज्ञ शालाएं बनाई जा रही हैं। वहीं साधु संतों के आवास स्थल, मंदिर, प्रतिमा व शिवलिंग निर्माण के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। प्रशासन, नगर निगम एवं यज्ञ आयोजन समिति के लोग युद्ध स्तर पर तैयारियों में जुट गए हैं।
यज्ञ स्थल को सजाने का कार्य शुरू हो गया है। चित्रकारों का दल गीताधाम से ग्वारीघाट और झंडा चौक के क्षेत्रों में भक्ति और संस्कृति के चित्रों को उकेर रहा है। वहीं सोमवार को झंडा चौक में सजावट शुरू हो गई। आयोजन के 12 दिन पहले ही ग्वारीघाट की सडक़ जगमगाने लगी हैं।
भोपाल की टीम
मप्र शासन की ओर से आयोजित नर्मदा गोकुम्भ में मप्र संस्कृति विभाग के अधिकारी तैयारियों में योगदान दे रहे हैं। मेला की तैयारियां पूरी कराने के लिए भोपाल के विशेषज्ञों की टीम मंगलवार को आयोजन स्थल पहुंची। नगर निगम के अपर आयुक्त रोहित सिंह कौशल के अनुसार विभिन्न आयोजनों की जानकारी सम्बंधित शाखाओं के अधिकारियों को दी गई है। नर्मदा गोकुम्भ में 24 फरवरी को संतों की पेशवाई होगी। उसके पहले मेला में स्थानीय एवं दूर दराज के दुकानदारों एवं झूला लगाने वालों वालों को भूमि आवंटित की जाएगी। नगर निगम की ओर से मेला की रूपरेखा के अनुसार पेयजल एवं अन्य व्यवस्थाएं की जा रही हैं। ग्वारीघाट में घाटों की मरम्मत, रंगाई-पुताई एवं दीवारों पर चित्र बनाए जा रहे हैं।
चित्रकला में जीवंत होगा इतिहास, गो संवर्धन की मिलेगी प्रेरणा
ग्वारीघाट के नर्मदा तट पर 16 फरवरी से चित्रकला प्रतियोगिता शुरू होगी। तीन दिन अलग-अलग वर्गों की स्पर्धा में दोपहर 12 से 3 बजे तक चित्रों में नर्मदा तटों का अध्यात्मिक इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य जीवंत होगा। मां नर्मदा और भगवान शिव के महिमा मंडन के साथ गोसंवर्धन की प्रेरणा भी चित्रों से प्राप्त होगी। विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार मिलेगा और चयनित चित्र कुम्भ मेला की प्रदर्शनी में लगाए जाएंगे। कुम्भ मेला क्षेत्र की प्रदर्शनी में कला एवं संस्कृति की समृद्ध विरासत नजर आएगी। नगर निगम की ओर से फाइन आर्ट शिक्षक डॉ. शैलजा सुल्लेरे एवं शिक्षा अधिकारी बीना वर्गीस को प्रतियोगिता का दायित्व सौंपा है। 16 फरवरी को स्कूल एवं 17 फरवरी को कॉलेज स्तर के छात्र-छात्राएं हुनर दिखाएंगे। जबकि, अंतिम दिन 18 फरवरी को स्वतंत्र कलाकार चित्र बनाते नजर आएंगे। स्वतंत्र कलाकार श्रेणी में 31 हजार एवं दो अन्य श्रेणी में 21 हजार रुपए प्रथम पुरस्कार दिया जाएगा।

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