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नर्मदा कुम्भ : भक्तों होंगे नर्मदा के विविध रूप के दर्शन, 24 को पेशवाई के साथ शुरू होगा आयोजन

locationजबलपुरPublished: Feb 15, 2020 07:26:46 pm

Submitted by:

reetesh pyasi

तीन मार्च तक होगा संतों का समागम
 

Mother Narmada Darshan Dwaro should be constructed, Congress councilor will do silent fast

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जबलपुर। ग्वारीघाट में नर्मदा गोकुम्भ की शुरुआत 24 फरवरी को पेशवाई के साथ होगी। पेशवाई दोपहर 2 बजे नरसिंह मंदिर से शुरू होगी। इसमें घोड़े, ऊंट, हाथी, बैंड दल, भील नृत्य, ढोल, पालकी, शिव बारात, बग्घी और साधु-सतों के अखाड़े शामिल होंगे। 3 मार्च तक चलने वाले कुम्भ में देश के प्रमुख संत शामिल होंगे। ये जानकारी नरसिंह मंदिर में पत्रकारों से बातचीत में स्वामी श्यामदेवाचार्य ने दी। कुम्भ के संयोजक स्वामी नरसिंह दास ने आयोजन की तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कुम्भ में सवा करोड़ नर्मदेश्वर से निर्मित शिवलिंग का श्रृद्धालुओं को दर्शन लाभ मिलेगा।

यह होगा खास
भगवान की शिव की विशाल प्रतिमा एवं अर्धनारीश्वर भगवान के दर्शन होंगे। श्रीराम महायज्ञ, रुद्र महायज्ञ, नर्मदा महायज्ञ, गौपुष्टि महायज्ञ आयोजित किए जाएंगे। कुम्भ स्थल पर नर्मदा नदी के उद्गम से लेकर भरूच में नदी के समुद्र में मिलने तक के विभिन्न स्वरुपों का चित्रांकन किया जा रहा है। श्रद्धालु इनका अवलोकन कर सकेंगे।
महाआरती, फिर सांस्कृतिक कार्यक्रम
कुम्भ के दौरान 25 फरवरी को नर्मदा व कन्या पूजन होगा। गीताधाम से उमाघाट तक कलश यात्रा निकाली जाएगी। 26 फरवरी को सुबह 8 बजे से यज्ञ आरम्भ होगा।
11.30 बजे से भागवताचार्य इंद्रेश उपाध्याय श्रीमद्भावगत कथा करेंगे। दोपहर 2 से शाम 7 बजे तक संत समागम होगा। शाम 7 बजे से महाआरती होगी। रात 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 3 मार्च को भगवान योगेश्वर का पाटोत्सव, पूजन, महाआरती और छप्पन प्रकार के भोजन का भोग लगाया जाएगा। 9.30 बजे शाही स्नान और 12 बजे यज्ञ की पूर्णाहूति होगी।
बैंड इंडियन ओशेन की प्रस्तुति
कुम्भ में कई लोक एवं संगीत कलाकार शामिल होंगे। आदिवासी लोक नृत्य के साथ ही बैंड इंडियन ओशेन की प्रस्तुति होगी। कैलाश खेर, हंसराज रघुवंशी, मनीष अग्रवाल, भैरवी विश्वरुप, मनीष चंचल, मोहिनी मोघे, शालिनी खरे सहित कई नामी गायक एवं कलाकरों ने कुम्भ में आने की सहमति प्रदान की है। कुम्भ में अमरकंटक के बाबा कल्याणदास, जूना अखाड़ा के स्वामी अवधेशानंद गिरी, चित्रकूट के स्वामी रामभद्राचार्य, हरिद्वार के निर्मल अखाड़ा के स्वामी ज्ञानदेव, खालसा परिषद के डाकोर गद्याचार्य माधावाचार्य, दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती सहित वंृदावन, महाराष्ट, प्रयाग, ऋषिकेश से कई संत शामिल होंगे।
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