तेज प्रवाह वाले लम्हेटाघाट की स्थिति और चिंतानजक है। यहां कीचड़ की भरमार है। घुघवा जलप्रपात लुप्त हो गया है। धुआंधार की धार भी पतली होने लगी है। नर्मदा नदी का जल स्तर तेजी से कम होने के कारण लोग खतरनाक स्थलों पर पहुंच रहे हैं। यह स्थिति लगातार तीसरे साल बनी है। सुरक्षा के लिहाज से अतिरिक्त सतर्कता बरतने की दरकार है, लेकिन जिम्मेदारों का इस ओर ध्यान नहीं है।
ये है कारण
विशेषज्ञओं के अनुसार नर्मदा नदी के जलस्तर में कमी का मुख्य कारण रेत की निकासी है। गर्मी के दिनों में रेत से पानी का धीरे-धीरे रिसाव होने से नदी में पानी की कमी नहीं होती। नर्मदा तटों से रेत की अंधाधुंध निकासी के कारण जलस्तर कम होने लगता है। नर्मदा नदी का जलस्तर कम होने का एक अन्य कारण सहायक नदियों का दम तोडऩा भी है। नर्मदा नदी की सहायक नदियों हिरन, परियट और गौर नदी में काफी पहले से जलस्तर कम हो चुका है।
रेत की भूमिका है महत्वपूर्ण
पर्यावरणविद् प्रो. एचबी पालन के अनुसार, नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में रेत की भूमिका महत्वपूर्ण है। रेत पानी को जमा करके रखती है। रेत के कारण गर्मी में धीरे-धीरे पानी का रिसाव होता रहता है। इससे नदी में पानी की कमी नहीं आती। नर्मदा से अंधाधुंध रेत की निकासी होने से मुख्य तटों पर रेत बची ही नहीं है। तटों पर जलसंकट का यही बड़ा कारण है। जल स्तर घटने की एक अन्य वजह सहायक नदियों का दम तोडऩा भी है।