इन मामलों में होता है समझौता
अपराधिक शमनीय प्रकरण, लिखित पराक्रम्य अधिनियम की धारा 131 के तहत चेक बाउंस का मामला, बैंक रिकवरी के मामले, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, श्रम विवाद, विद्युत एवं जलकर, वैवाहिक, वित्त सम्बंधी, भूमि अधिग्रहण, पेंशन से सम्बंधित, राजस्व व दीवानी प्रकरण, प्री-लिटिगेशन मामले।
अपराधिक शमनीय प्रकरण, लिखित पराक्रम्य अधिनियम की धारा 131 के तहत चेक बाउंस का मामला, बैंक रिकवरी के मामले, मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, श्रम विवाद, विद्युत एवं जलकर, वैवाहिक, वित्त सम्बंधी, भूमि अधिग्रहण, पेंशन से सम्बंधित, राजस्व व दीवानी प्रकरण, प्री-लिटिगेशन मामले।
यह है स्थिति
नेशनल लोक अदालत में राज्य में निपटे मामले (प्रि-लिटिगेशन व नियमित लम्बित मामले )
2015 36,40,928
2016 1,096,797
2017 1,94,146
2018 2,55,318 नेशनल लोक अदालत शृंखला से अदालतों का बोझ काफी कम हुआ है। शमनीय प्रकरणों के लिए यह कारगर उपाय है। प्रीलिटिगेशन के मामलें का इसके जरिए निराकरण बड़ी उपलब्धि है। इससे अदालतों का बोझ कम होगा।
विजय चंद्र, सदस्य सचिव, मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण
नेशनल लोक अदालत में राज्य में निपटे मामले (प्रि-लिटिगेशन व नियमित लम्बित मामले )
2015 36,40,928
2016 1,096,797
2017 1,94,146
2018 2,55,318 नेशनल लोक अदालत शृंखला से अदालतों का बोझ काफी कम हुआ है। शमनीय प्रकरणों के लिए यह कारगर उपाय है। प्रीलिटिगेशन के मामलें का इसके जरिए निराकरण बड़ी उपलब्धि है। इससे अदालतों का बोझ कम होगा।
विजय चंद्र, सदस्य सचिव, मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण