भीषण गर्मी में भी शीतलता का अहसास
नर्मदा के सबसे विहंगम तट धुआंधार, पंचवटी से स्वर्गद्वारी और बंदरकूदनी के बीच भीषण गर्मी में सुकूनदायक ठंडक का अहसास होता है। प्राकृतिक धरोहर होने के कारण अब तक इन स्थलों के आसपास की हरियाली काफी हद तक सुरक्षित है।
हरियाली से घिरी मदनमहल पहाड़ी
तापमान बढऩे पर वाष्पीकरण होता है। कम दबाव का क्षेत्र बनने से आसपास के बादल भी आ जाते हैं। इससे बारिश होती है। यह स्थिति यहां बड़ा हरित क्षेत्र होने और जल राशि की उपलब्धता के कारण बनती है। मदनमहल की पहाड़ी को शहर का ऑक्सीजन टैंक कहा जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार भूगर्भ ग्रेनाइट की चट्टानें गर्मी के दिनों में बहुत गर्म हो जाती हैं। इन्हें ठंडा होने में अधिक समय लगता है। ऐसे में शहर के बीचोंबीच स्थित हरित क्षेत्र और बड़ी संख्या में तालाबों में उपलब्ध जल ग्रेनाइट की चट्टानों को ठंडा होने के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है।
विशेषज्ञ बोले
तापमान बढऩे पर वृहद स्तर पर जलराशि की उपलब्धता के कारण तेजी से वाष्पीकरण होता है। बड़े हरित क्षेत्र के कारण कम दबाव का क्षेत्र बनने पर आसपास के बादल भी एकत्र हो जाते हैं। इससे हल्की बारिश होती है। जबलपुर की आबोहवा प्राकृतिक रूप से बहुत संतुलित है।
- एसके खरे, वैज्ञानिक
जबलपुर में नर्मदा व सहायक नदियों परियट और गौर का लम्बा तटवर्ती क्षेत्र, मदन महल की पहाड़ी, बरगी हिल्स व चारों ओर पहाड़ी और तालाबों की मौजूदगी के कारण आबोहवा बहुत ही अनुकूल है। ऐतिहासिक मदन महल किले की मौजूदगी के कारण पहाड़ी को संरक्षित किया जा रहा है। भेड़ाघाट में धुआंधार की मौजूदगी के कारण बड़ा हरित क्षेत्र सुरक्षित बचा हुआ है।
- एबी मिश्रा, पर्यावरणविद्